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यहां जाम यादा इधर, रोडवेज बसों के चालकों का कहना है कि मंदिर के पास बसों को रोकने से अधिक जाम के हालात बन रहे हैं। पीछे से लगातार गाडिय़ां आने से मंदिर के पास बसों को रोकने में परेशानी हो रही है। एरोड्राम सर्किल पर तो फि र भी सड़क के बिल्कुल अलग जगह पर बसें खड़ी होती थी। हनुमान मंदिर के पास तो एक मिनट के लिए भी बसें खड़ी करने की स्थिति नहीं है। ऐसे में सवारियों को यहां से बस में चढ़ाना मुश्किल है।
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इधर, चक्करघिन्नी हो रहे वाहन चालक- यातायात पुलिस की ओर से एरोड्राम सर्किल पर डीसीएम रोड से सीएडी या नयापुरा की ओर जाने वाले रास्ते को ब्लॉक किया हुआ है। नयापुरा जाने वाले वाहनों को भी विपरीत दिशा में झालावाड़ रोड पर भेजा जा रहा है। इसके बाद वाहन हवाई अडडे के सामने से यू टर्न लेकर फि र नयापुरा जाने के लिए एरोड्राम सर्किल पर ही पहुंच रहा है। इससे एरोड्राम सर्किल पर दोहरा दबाव बन गया है। लोगों को इससे भारी परेशानी हो रही है। वाहन चालक ऐसा चक्कर घिन्नी हो रहे हैं।
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पत्रिका व्यू….
ट्रेफिक दुरुस्त करें, सुविधाएं न छीनें लम्बे चौड़े लवाजमे वाली यातायात पुलिस एक एरोड्राम चौराहे पर जाम के हालात दुरुस्त नहीं कर पा रही। यहां आए दिन बस प्रयोग हो रहे। मंगलवार को फिर नया फरमान आया। अब दशकों से यहां सवारियां ले रही रोडवेज और निजी बसों का ठहराव हटा दिया गया। उन बसों का जो नितांत अलग ब्लॉक में खड़ी रहती हैं। अस्थाई रूप से हनुमान मंदिर के पास झालावाड़ की ओर जाने वाली बसें तथा हवाई अड्डे के गेट से पेट्रोलपंप के पास झालावाड़ की ओर से आने वाली बसें सवारियां बैठा और उतार सकेंगी। समझ नहीं आता कि नितांत अलग चौड़े ब्लॉक के बजाय हाइवे पर भीड़भाड़ वाली जगह बसें रुकने से समस्या सुलझेगी या उलझेगी? और, जनता को किसी एक मुसीबत से छुटकारा दिलाने का विकल्प उसे दूसरी समस्या देने या सुविधा छीनने में क्यों देखा जाता है? एरोड्राम पर हो रहे प्रयोगों से लगता है कि या तो ‘समस्या की जड़ तक यातायात पुलिस अधिकारी पहुंच नहीं पा रहे, या फिर निवारण सामथ्र्य के अभाव में इसे अनदेखा कर रहे। उल्टे, जनता की सुविधाएं छीनने में लगे हैं।
असल में, नियमों को ठेंगा बताते यहां ये उटपटांग निकलते वाहन ही अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार हंै। कहां लेन सिस्टम, कहां जेब्रा क्रॉसिंग, क्या लेफ्ट-राइट ओवरटेकिंग, जिसे जहां जगह मिल रही, वहीं वाहन फंसा कर निकल रहा और यातायात पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहते हैं। जिस वाहन को घोड़वाला बाबा रोड पर जाना है, वो जगह न मिलने पर तीसरी लेन में आ जाता है और चौराहे पर आकर पुन: पहली लेने में जाता है, इससे लगता है जाम। इसी तरह, डीसीएम जाने वाला वाहन तीसरी लेन में जगह न हो तो पहली लेने से चलकर आगे आता है और फिर चौराहे पर लेन क्रॉसिंग कर बाकी वाहनों को रोकता है। अजायबघर जैसे हाल होते हैं बीच चौराहा। इस चौराहे पर अगर लेन सिस्टम भी फॉलो करा लिया जाए तो जाम से राहत मिल सकती है। बजाय लोगों की सुविधाएं छीनने के, यातायात पुलिस सिर्फ टे्रफिक नियमों की पालना सख्ती से कराने का ‘प्रयोग यहां कर ले, सुखद नतीजे शहर के सामने होंगे। एरोड्राम चौराहे पर कभी नियम तोडऩे वाले आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे, क्या ऐसा फिर संभव, जुटाएगी यातायात पुलिस साहस!