कोटा

ट्रेन के यात्री डिब्बों के अंदर का दृश्य देख सकेंगे, सुरक्षा बढ़ेगी

केन्द्र सरकार ने रेलवे को स्टेशन परिसर एवं रेलगाडिय़ों में सार्वजनिक बचाव व सुरक्षा सेवाओं के लिए 700 मेगाहट्र्ज फीक्वेंसी बैंड में 5 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दे दी है। इस स्पेक्ट्रम के साथ ही भारतीय रेल ने लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रदान करने की परिकल्पना की है।
 

कोटाJun 12, 2021 / 10:59 am

Jaggo Singh Dhaker

कोटा. आने वाले कुछ सालों में ट्रेनों की रफ्तार बढऩे के साथ ही सुरक्षा और संरक्षा के इंतजाम भी आत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे। नियंत्रण कक्ष से चालक दल और गार्ड से संवाद करना आसान होगा। चलती ट्रेनों में यात्री डिब्बों की निगरानी करना आसान होगा। अल्पकालीन सूचना पर यात्रियों से संबंधित जानकारी जुटाना आसान होगा। वीडियो फुटेज आसानी से उपलब्ध होंगे। ट्रेन के डिब्बों के अंदर की गतिविधियों को भी रेलवे और सुरक्षा से जुड़े अधिकारी देख सकेंगे। नए उपकरणों से दुर्घटनाएं होने की संभावना नहीं रहेगी। आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा देते हुए केन्द्र सरकार ने रेलवे को स्टेशन परिसर एवं रेलगाडिय़ों में सार्वजनिक बचाव व सुरक्षा सेवाओं के लिए 700 मेगाहट्र्ज फीक्वेंसी बैंड में 5 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के आवंटन को मंजूरी दे दी है। इस स्पेक्ट्रम के साथ ही भारतीय रेल ने अपने मार्ग पर एलटीई (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) आधारित मोबाइल ट्रेन रेडियो संचार प्रदान करने की परिकल्पना की है। परियोजना में अनुमानित निवेश 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। यह परियोजना अगले पांच साल में पूरी होगी। इसके अलावा, भारतीय रेल ने स्वदेशी रूप से विकसित एटीपी (ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन) सिस्टम टीसीएएस (ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम) को मंजूरी दी है जो रेलगाड़ी को टक्कर से बचने में मदद करेगा और इससे दुर्घटनाएं कम होंगी और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। इससे रेलवे के परिचालन एवं रख-रखाव व्यवस्था में रणनीतिक बदलाव आएगा। यह मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अधिक ट्रेनों को समायोजित करने के लिए लाइन क्षमता और सुरक्षा को बेहतर करने में मदद करेगा। आधुनिक रेल नेटवर्क तैयार होने से परिवहन लागत में कमी आएगी और प्रवाह क्षमता में सुधार होगा। रेलवे के परिचालन एवं सुरक्षा में रणनीतिक बदलाव आएगा।
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