scriptकोयला परिवहन के लिए त्रिशूल और गरुड़ की दौड़ | Trishul and Garuda race for coal transport | Patrika News

कोयला परिवहन के लिए त्रिशूल और गरुड़ की दौड़

locationकोटाPublished: Oct 14, 2021 09:25:12 pm

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

त्रिशूल दक्षिण मध्य रेलवे की पहली लंबी दूरी की मालगाड़ी है। इसमें तीन मालगाडि़यां यानी 177 वैगन शामिल हैं। पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा, भोपाल और जबलपुर मंडल में लॉन्ग हॉल मालगाडि़यों का संचालन किया जा रहा है।

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कोटा. भारतीय रेलवे के कई जोन माल परिवहन की क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं। पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा, भोपाल और जबलपुर मंडल में जहां दो मालगाडि़यों को जोड़कर लॉन्ग मालगाड़ी चलाई जा रही है, वहीं दक्षिण मध्य रेलवे ने तीन मालगाडि़यों को जोड़कर दो लंबी दूरी की मालगाड़ी त्रिशूल और गरुड़ का संचालन किया है। इनका प्रयोग कोयला परिवहन के लिए किया जा रहा है। मालगाडिय़ों की सामान्य संरचना से दोगुनी या कई गुना बड़ी लंबी दूरी की यह रेलगाड़ी महत्वपूर्ण रेलखंडों में क्षमता की कमी की समस्या का एक बहुत प्रभावी समाधान करती है। इसमें खाली रैक को ही जोड़ा जाता है। पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा, भोपाल और जबलपुर मंडल में लॉन्ग हॉल मालगाडि़यों का संचालन किया जा रहा है।
६ माह में 444 लॉन्ग हॉल गाडि़यां दौड़ी
लॉन्ग हॉल मालगाडिय़ों में 58-58 वैगनों की दो मालगाडिय़ों को एक साथ मिलाकर 116 वैगनों की पूरी मालगाड़ी बनाई जाती है। इससे दो मालगाडिय़ों के पाथ के बजाय एक गाड़ी के पाथ में ही संचालन किया जा सकता है। पिछले छह महीनों पश्चिम मध्य रेलवे ने 444 लॉन्ग हॉल मालगाडिय़ों का संचालन किया गया।
१७७ वैगन की त्रिशूल दौड़ी
त्रिशूल दक्षिण मध्य रेलवे की पहली लंबी दूरी की मालगाड़ी है। इसमें तीन मालगाडि़यां यानी 177 वैगन शामिल हैं। यह रेल 7 अक्टूबर 2021 को विजयवाड़ा मंडल के कोंडापल्ली स्टेशन से पूर्वी तट रेलवे के खुर्दा मंडल के लिए रवाना हुई थी। इसके बाद 8 अक्टूबर 2021 को गुंतकल मंडल के रायचूर से सिकंदराबाद डिवीजन के मनुगुरु तक इसी तरह की एक और रेल को रवाना किया और इसे गरुड़ नाम दिया गया है। दोनों ही मामलों में लंबी दूरी की मालगाडि़यों में मुख्य रूप से थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयले की लदान के लिए खाली खुले वैगन शामिल थे।
यह लाभ होता है
लंबी दूरी की इन मालगाडि़यों के माध्‍यम से परिचालन में भीड़भाड़ वाले मार्गों पर पथ की बचत, शीघ्र आवागमन समय, महत्वपूर्ण सेक्‍शन में प्रवाह क्षमता को अधिकतम करना, चालक दल में बचत करना जैसे लाभ शामिल हैं।
भारतीय रेलवे ने वर्ष 2015-16 में पश्चिम मध्य रेलवे ने सबसे पहले लॉन्ग हॉल मालगाडिय़ों का संचालन शुरू किया। इससे तेज गति से एक ही समय में ज्यादा से ज्यादा माल यातायात का परिवहन किया जा सकता है। अधिक से अधिक रेलगाडिय़ों के संचालन के लिए पाथ मिल जाता है।
-राहुल जयपुरियार, सीपीआरओ, पश्चिम मध्य रेलवे
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