मोड़क स्टेशन निवासी फरीद मोहम्मद ने बताया कि साले आसिफ हुसैन 15 दिन से अस्पताल में भर्ती था। उसकी पल्स भी ठीक थी। उसकी रिकवरी हो रही थी। देर रात 1 बजे अचानक ऑक्सीजन सिलेण्डर खत्म हो गए। प्लांट बंद हो गया। इससे वार्ड में अफरा-तफरी मच गई मरीज परेशान हो गए। अस्पताल प्रशासन भी हरकत में आ गया। ऑक्सीजन के अभाव में उसका साले आसिफ की मौत हो गई।
बारां निवासी विमल ने बताया कि उनकी पत्नी शिप्रा को पिछले सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया था। एसएसबी के 4-ब्लॉक के ए-वार्ड में इलाज चल रहा था। सांस लेने में तकलीफ के कारण ऑक्सीजन पर थी। देर रात ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई। मरीजों की चिल्लाने की आवाज आने लगी लगी। वार्ड में 25 से ज्यादा मरीज थे। डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ से ऑक्सीजन बंद होने की शिकायत की। उन्होंने व्यवस्था होने में समय लगने की बात कही और कहा कि मरीज के थोड़ा पंपिंग करो। करीब साढ़े 3 बजे बाद ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो सकी, लेकिन तब तक उनकी पत्नी की मौत हो चुकी थी।
एसएसबी विंग के अधीक्षक डॉ. नीलेश जैन ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी से मरीज की मौत नहीं हुई है। ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर डाउन हो गया था। यदि ऑक्सीजन नहीं मिलती तो नीचे अन्य ब्लॉक में भी मरीज प्रभावित होते। यह बात गलत है कि मरीज को ऑक्सीजन नहीं मिली है।
नए अस्पताल अधीक्षक डॉ. सी.एस. सुशील ने बताया कि अस्पताल में क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। करीब 500 मरीज ऑक्सीजन पर हैं। इनमें से 10 प्रतिशत मरीज वेंटिलेटर पर हैं। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन का प्रेशर मैंटेन कर पाने में बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। हर 15 मिनट में ऑक्सीजन सिलेंडर की गाड़ी आ रही है। कभी-कभी गाड़ी आने में समय भी लगता है। प्लांट में 20 से 40 मिनट में सिलेंडर बदलना पड़ रहा रहा है। थोड़े समय के लिए ऑक्सीजन का प्रेशर जरूर डाउन हो जाता है। इस मामले में जिला कलक्टर, मंत्री शांति धारीवाल को अवगत करा दिया है।