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कोटा में धारीवाल मॉडल से झलक रहा सौतेलापन, कहीं हो रही मौज तो कहीं केवल खोज

स्वायत्त शासन मंत्री की यूआईटी पर दरियादिली तो नगर निगम की उपेक्षा न्यास में नए पद सृजित कर लगा रहे है अफसर, निगम को कर दिया खाली, कामकाज ठप

कोटाAug 22, 2019 / 03:02 am

Rajesh Tripathi

कोटा में धारीवाल मॉडल से झलक रहा सौतेलापन, कहीं हो रही मौज तो कहीं केवल खोज

कोटा। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने तथा शांति धारीवाल के नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री बनने के बाद कोटा शहर में आम जनता से जुड़े दो उनके विभागों की अलग-अलग तस्वीर सामने आ रही है। एक विभाग पर तो मंत्रीजी की ऐसी दरियादिली है कि नए पद सृजित कर अधिकारियों को बिठाया जा रहा है। वहीं दूसरे विभाग की ऐसी अनदेखी की जा रही है कि कई महत्वपूर्ण पद अर्से से खाली चल रहे हैं, लेकिन उनको भरने की जरूरत तक महसूस नहीं की जा रही है। हम बात कर रहे हैं नगर विकास न्यास और नगर निगम की। पिछले पांच माह में दोनों विभागों की कार्य प्रणाली में जमीन आसमान का अंतर आ गया है। मंत्री के चेहते विभाग में विकास कार्यों की फाइलें दौड़ रही है, वहीं नगर निगम में आम जनता से जुड़ी फाइलों पर धूल जम गई है। निगम की उपेक्षा का दंश शहर की जनता झेल रही है। लोगों के छोटे-छोटे काम तक बंद हो गए हैं। लोग निगम के चक्कर लगाने को विवश है, लेकिन यहां आमजन की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। जो अधिकारी है वह भी यहां से रफ्फूचक्कर होने की जुगाड़ में हैं। धारीवाल के स्वायत्त शासन मंत्री बनने के बाद नगर निगम और नगर विकास न्यास के कामकाज को लेकर पेश है विश्लेषणात्मक रिपोर्ट :
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अच्छे अधिकारियों की तलाश
धारीवाल के मंत्री बनने के बाद प्रदेशभर के अधिकारी यूआईटी में लगने को आतुर है। प्रदेशभर से अच्छे अफसरों को तलाश कर यूआईटी में लगाया जा रहे हैं। ज्यादातर पद भरे जा चुके हैं। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर नगर विकास न्यास में मुख्य अभियंता के पद पर अशोक कुमार चौधरी को लगाया है। जो प्रदेश के नगर विकासों का काम कोटा से ही देखेंगे। निगम के अधिशासी अभियंता महेश शर्मा, प्रकाश शर्मा को न्यास में लगा दिया गया है। निगम में यह दोनों पद खाली चल रहे हैं। इसके अलावा आधा दर्जन सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंताओं को भी निगम से खींचकर न्यास में लगा दिया है।
फिर भी विवादित इंजीनियर को लगाया
न्यास में जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता अनिल कछावा के विवादों में रहने के बाद नगर विकास न्यास में तैनात कर दिया। उन्हें पानी के साथ सीवरेज और सिविल इंजीनियरिंग का कार्या सौंप रखा है। मूल रूप से वे जलदाय विभाग के अधिकारी हैं। विवादों के चलते जलदाय विभाग से एपीओ किया गया था।
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थानाधिकारी भी लगाया
कांग्रेस के पिछले शासन में ही न्यास में अतिक्रमण निरोधक दस्ते को मजबूत करने के लिए थानाधिकारी का पद सृजित किया गया था, लेकिन भाजपा शासन में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पिछले दिनों न्यास में आशीष भार्गव को सीआई का जिम्मा सौंपा गया है।
एसई के पास छह विभागों का चार्ज
निगम के अधीक्षण अभियंता प्रेम शंकर शर्मा पर आधा दर्जन विभागों व अनुभागों का अतिरिक्त चार्ज है। एक उपायुक्त, स्मार्ट सिटी एसई, निकाय एसई सहित अन्य पदों का काम सौंप रखा है। वे काम के दबाव की बात कहकर अतिरिक्त पदों से कार्यमुक्त करने का पत्र पिछले दिनों आयुक्त को दे दिया था।
उलट-पुलट
कांग्रेस सरकार ने आते ही मुख्य अग्निशमन अधिकारी और अग्निशमन अधिकारी का तबादला कर दिया था। लेकिन मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पद पर किसी को नहीं लगाया। अग्निशमन अधिकारी के पर श्रीगंगानगर से अधिकारी लगाया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही पुन: तबादला कर दिया गया। दोनों अग्निशमन अधिकारी के पद खाली चल रहे हैं। मुख्य अग्निशमन अधिकारी का अतिरिक्त चार्ज सिविल के एक्सईएन प्रशांत भरद्वाज को दे रखा है।
सफाई का बेडा भी अधूरा
निगम का मुख्य कार्य ही शहर को साफ रखना है। लेकिन सफाई का बेडा ही खाली चल रहा है। मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी और स्वास्थ्य अधिकारी के पद खाली चल रहे हैं। अभियंताओं को अतिरिक्त कार्यभार सौंप रखा है।
यह काम अटके
सामाजिक पेंशन के 5500 हजार आवेदन पत्र लम्बित चल रहे हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है। निगर
ानी करने वाले नहीं है- भवन निर्माण, नाम हस्तांतरण, सेल परमिशन आदि के नाम अटके- आर्थिक आधार पर आरक्षण के आवेदन पत्रों का सत्यापन तक नहीं हो रहा है।- वार्डों में विकास कार्य ठप पड़े हैं।
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