कोटा में 16 करोड़ टिड्डियों ने हरियाली पर किया हमला यूआईटी में सर्वे के लिए अनुबंधित तकनीकी सलाहकार सत्यनारायण मीणा ने दोनों मकानों के आवेदन के बाद पहली किस्त दिलवाने के लिए 12-12 हजार रुपए प्रति आवास के हिसाब से 24 हजार रुपए की रिश्वत ली। चार-पांच दिन पहले ही उसे दोनों मकानों के लिए 60-60 हजार रुपए की रकम मिली। इस पर सत्यनारायण पहले चरण के काम के सर्वे कर दूसरी किस्त 90-90 हजार रुपए दिलवाने के लिए 20-20 हजार रुपए के हिसाब से 40 हजार रुपए की रिश्वत ली।
गौरतलब है कि योजना के तहत चिन्हित परिवार को आवास निर्माण के लिए सरकार की ओर से 2.50 लाख रुपए दिए जाते है। विमल कुमार ने बताया कि वह घर पर ही किराने की दुकान चलाता है। विमल ने कहा कि रुपए दिए बिना सरकार की योजना का लाभ नहीं मिलता। इससे पहले बाढ़ में उसका काफी नुकसान हुआ। अधिकारियों ने बाढ़ के सर्वे के लिए दस हजार रुपए मांगे। उसने रुपए नहीं दिए तो पीडि़तों की सूची में उसका नाम शामिल नहीं किया गया। मकान के पट्टे के सर्वे के लिए अधिकारी आए तो 10 हजार रुपए की मांग की।
नोडल एजेंसी को भी पहुंचती बंदरबांट
जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को रकम देने के लिए स्टेट नोडल एजेन्सी से बजट मिलता है। जिसमें से तकनीकी सलाहकार सत्यनारायण मीणा को प्रति आवास सर्वे के करीब 625 रुपए मिलते थे, लेकिन वह आवास के लिए किस्त जारी करने से पहले लाभार्थी से रिश्वत के रुपए एडवांस में लेता और इसके बाद ही उसके मकान का सर्वे कर किस्त या अगली किस्त जारी करने के लिए अनुमोदन करता। एसीबी सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक पूछताछ में सत्यनारायण ने बताया कि वह बजट जारी करवाने के लिए स्टेट नोडल एजेन्सी को भी रुपए देता था।
जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीबों को रकम देने के लिए स्टेट नोडल एजेन्सी से बजट मिलता है। जिसमें से तकनीकी सलाहकार सत्यनारायण मीणा को प्रति आवास सर्वे के करीब 625 रुपए मिलते थे, लेकिन वह आवास के लिए किस्त जारी करने से पहले लाभार्थी से रिश्वत के रुपए एडवांस में लेता और इसके बाद ही उसके मकान का सर्वे कर किस्त या अगली किस्त जारी करने के लिए अनुमोदन करता। एसीबी सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक पूछताछ में सत्यनारायण ने बताया कि वह बजट जारी करवाने के लिए स्टेट नोडल एजेन्सी को भी रुपए देता था।