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गौरवशाली अतीत को दर्शाती छतरियां हो रही नष्ट

locationकोटाPublished: Oct 31, 2020 07:12:52 pm

Submitted by:

Anil Sharma

खतरे में धरोहर, सार संभाल की जरूरत

sangod

सांगोद में टोडी पाड़ा में बनी रियासतकालीन छतरियां।

सांगोद. क्षेत्र में रियासतकाल की गौरवशाली अतीत को दर्शाती प्राचीन छतरियां अनदेखी से दुर्दशा का शिकार हो रही है। छतरियों की सार संभाल नहीं होने से रियासतकाल की धरोहर नष्ट होने के कगार पर है। यहां कस्बे में टोडी पाड़ा, मालीहेड़ा, टोंकमऊ आदि जगहों पर बरसों पुरानी छतरियां बनी हुई है। रियासतकाल में बनी इन छतरियों का निर्माण राजा-महाराजाओं के साथ साधु-संतों की समाधियों के रूप में भी करवाया था। वहीं कई छतरियां ऐसी भी है जो धार्मिक स्थलों पर बनी है। जरा सी सार संभाल से इन अतीत की यादों को सहेजा जा सकता है। इन्हें बचाने की पहल किसी स्तर से नहीं हो रही।
नहीं हो रही देखभाल
कभी गौरवशाली इतिहास की कहानी बयां करती ऐसी कई छतरियां यहां दुर्दशा की शिकार हो रही है। छतरियों के शिखर पर घास उगी है तो रंगाई-पुताई नहीं होने से पत्थर काले पड़ गए है। कई छतरियों के गुम्बद टूटकर गिर गए तो कई छतरियों के पत्थर उखड़कर गिर गए। कई छतरियां तो टूटकर गिरने की स्थिति में है।
बनावट करती आकर्षित

बरसों पुरानी इन छतरियों की बनावट और इन पर उकरी कलाकृतियां लोगों को आकर्षित करती है। लोगों के जेहन में राजस्थान की गौरवशाली अतीत की यादों को ताजा कर देती है। पत्थरों पर आकर्षक नक्कासी एवं देवी-देवताओं के चित्र उकेरे हुए है। गुम्बदनुमा पत्थरों से आपस में जोड़कर छतरियों का निर्माण करवाया है। इन रियासतकालीन छतरियों की सार-संभाल नहीं होने के कारण गौरवशाली धरोहर खतरे में है।
बजट की कमी आ रही आड़े
पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण संपदाओं को बचाने में बजट की कमी आड़े आती है। हालांकि विभागीय स्तर पर ऐसी कई प्राचीन धरोहरों को सुरक्षित रखने का पूरा प्रयास किया जाता है, लेकिन स्थानीय स्तर पर भी नगरपालिका व ग्राम पंचायत इनके संरक्षण को आगे आएं तो इन्हें काफी हद तक बचाया जा सकता है।
संजय सिंह सहायक क्षेत्रीय अधिकारी

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