सूत्रों ने बताया कि जोरावरपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति में गड़बडिय़ों की शिकायत पर सहकारी समितियां कोटा के उप रजिस्ट्रार ने सहकारी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच करवाई थी। हाल ही सौंपी गई जांच रिपोर्ट में खाद घोटाला भी सामने आया है।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016-17 में खाद-बीज के स्टॉक की जांच की गई। इसमें पाया कि समिति के रेकॉर्ड में वर्ष 2016-17 में 2886117 रुपए का खाद-बीज खरीदा एवं 3549494 रुपए का खाद-बीज बेचा। इस प्रकार 137723 रुपए का स्टॉक कम पाया गया। खाद वितरण का रेकॉर्ड भी गायब कर दिया। ऋण वितरण में भी हेराफेरी कर गबन किया है, जिन किसानों ने ऋण नहीं लिया, उनके नाम से ऋण उठा लिया गया।
45 लाख से अधिक का गबन माना उप रजिस्ट्रार अजयसिंह पंवार का कहना है कि जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। तत्कालीन व्यवस्थापक ललित नामा से गबन की राशि की वसूली करने तथा एफआईआर दर्ज करने की तैयारी चल रही है। उच्चाधिकारियों से इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा गया है। रिपोर्ट भी प्रेषित कर दी है। गौरतलब है कि जांच रिपोर्ट में समिति में 45 लाख रुपए से अधिक का गबन माना है।
स्टॉक से गायब कर दिया खाद
रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2017 को बकाया स्टॉक मिलान ऑडिट के तहत डीएपी के 60 बैग, एनीके के 990 तथा सल्फर के 3 बैग खाद गायब कर दिया गया। गायब खाद की कीमत एक लाख 37 हजार 728 रुपए है। इसी तरह खाद बिक्री 2015-16 में डीएपी के 540 बैग, सुपर फास्फेट के 140 बैग रेकॉर्ड से गायब कर दिए
रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च 2017 को बकाया स्टॉक मिलान ऑडिट के तहत डीएपी के 60 बैग, एनीके के 990 तथा सल्फर के 3 बैग खाद गायब कर दिया गया। गायब खाद की कीमत एक लाख 37 हजार 728 रुपए है। इसी तरह खाद बिक्री 2015-16 में डीएपी के 540 बैग, सुपर फास्फेट के 140 बैग रेकॉर्ड से गायब कर दिए