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सावधान कोटावासियों! पहले फरिश्ता बन बढ़ाते हैं मदद का हाथ फिर उसी हाथ से सीने में घोंप देते हैं लालच का खंजर

locationकोटाPublished: Jul 10, 2018 12:56:51 am

Submitted by:

Anil Sharma

शहर में सूदखोरों का मकडज़ाल बिछा हुआ है। इसमें फंसे लोग अपनी पीड़ा बताना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सूदखोरों ने इतना डरा रखा है कि वे खुलकर सामने तक नहीं आ पा रहे।

सूदखोरों

सूदखोरों

कोटा. शहर में सूदखोरों का मकडज़ाल बिछा हुआ है। इसमें फंसे लोग अपनी पीड़ा बताना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सूदखोरों ने इतना डरा रखा है कि वे खुलकर सामने तक नहीं आ पा रहे। हालांकि गोपनीय तरीके से लोग अपनी पीड़ा साझा कर रहे हैं। ऐसे ही एक पीडि़त ने रविवार को राजस्थान पत्रिका से अपना दर्द बयां किया। सिविल लाइन निवासी 26 वर्षीय एक युवक ने नोटबंदी के समय आवश्यक कार्य के लिए एक सूदखोर से 1 लाख रुपए उधार लिए। इसके बाद से वह अब तक 2 लाख 20 हजार रुपए सूदखोर को दे चुका है, लेकिन सूदखोर 2 लाख 20 हजार रुपए की और मांग कर रहा है। सूदखोर की आेर से रोजाना फोन पर धमकियां मिल रही हैं। रविवार शाम को भी सूदखोर ने फोन कर कार छीनने की धमकी दी। पहले ही एक बार गाड़ी छीनकर ले जा चुका है। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र और खाली चेक सूदखोर ने अपने कब्जे में ले रखे हैं।
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घर खर्च बीमार पिता चला रहे
उसने बताया कि वह निजी बैंक में नौकरी करता है। सूदखोर को हर माह ब्याज और किस्त चुकाने के लिए कई अन्य लोगों से उधार ले चुका है, इस तरह उस पर 12 लाख रुपए का कर्ज हो चुका है। उसे हर माह 15 हजार रुपए वेतन मिलता है और सूदखोर पूरा वेतन ले जाते हैं। घर का खर्च पिता चलाते हैं। पिता सरकारी कर्मचारी हैं और उन्हें एक बार हार्ट अटैक भी आ चुका है।

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घुट-घुटकर जीने को मजबूर परिवार
पीडि़त इतना डरा हुआ था कि उसने नाम छापने से भी मना कर दिया। उसने बताया कि उनका पूरा परिवार तनाव में है। दो साल की बेटी है। सूदखोरों के जाल में फंसकर आंसू पीकर घुट-घुटकर जीने को मजबूर हैं।
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