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यहां आज भी कायम है वसुंधरा राजे का ‘राज’ अशोक गहलोत का विभाग ही उन्हें नहीं मानता मुख्यमंत्री

वसुंधरा राजे की सत्ता छिने साढ़े तीन महीने से भी ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन अशोक गहलोत को अभी तक वह महकमा भी मुख्यमंत्री मानने को तैयार नहीं है, जिसके वह कैबिनेट मंत्री हैं।

कोटाApr 03, 2019 / 09:42 pm

​Vineet singh

यहां आज भी कायम है ‘ वसुंधरा राजे’ का ‘राज’ , अशोक गहलोत का विभाग ही उन्हें नहीं मानता मुख्यमंत्री

कोटा.
आवाम ने साढ़े तीन महीने पहले ही सूबे में सरकार बदलकर अशोक गहलोत को नया मुखिया चुन लिया, लेकिन सरकारी बहीखातों में आज भी वसुंधरा राजे ही राजस्थान की मुख्यमंत्री बताई और दिखाई जा रही हैं। यकीन न आए तो सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के एप सेंटर को खोलकर देख लीजिए। जहां एक नहीं बल्कि दो-दो मोबाइल एप में अब भी ‘राजे’ का ‘राज’ कायम है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस विभाग के कैबिनेट मंत्री खुद अशोक गहलोत ही हैं।
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने डिजिटल इंडिया अभियान को सिरे चढ़ाने के लिए सभी विभागों के डिजिटलाइजेशन पर जमकर जोर दिया। वहीं सरकारी विभागों के कामकाज और उन तक जनता की पहुंच को आसान बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (डीओआईटी) ने 61 से ज्यादा मोबाइल एप लांच किए। इन मोबाइल एप्स तक प्रदेश की आवाम की सीधी और आसान पहुंच कायम करने के लिए डीओआईटी ने गूगल एप स्टोर की तर्ज पर एक एप स्टोर राज एप सेंटर भी बनाया। जहां सभी सरकारी एप एक साथ स्टोर कर दिए गए थे, ताकि डिजिटलाइजेशन का फायदा उठाने और एप डाउनलोड करने के लिए लोगों को कहीं भटकना न पड़े।
सत्ता बदली, मुख्यमंत्री नहीं

डीओआईटी ने मुख्यमंत्री और सूबे के आला अफसरों के बीच सीधा संवाद स्थापित करने और मोबाइल पर ही जरूरी आदेश निर्देश की सुविधा मुहैया कराने के लिए सीएम डैशबोर्ड नाम से बेहद महत्वाकांक्षी मोबाइल एप तैयार किया था। इस मोबाइल एप को भी एप सेंटर के जरिए ही डाउनलोड किया जाना था। एप सेंटर पर मौजूद मोबाइल एप्लीकेशंस की भीड़ में इस वीवीआईपी एप की अलग पहचान कायम करने के लिए डीओआईटी ने दूसरे मोबाइल एप की तरह इसके लिए कोई लोगो बनवाने की बजाय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चेहरे को ही पहचान के तौर पर इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर समझा। बड़ी बात यह है कि सूबे की सत्ता से बेदखल होने के साढ़े तीन महीने बाद भी वसुंधरा राजे का चेहरा ही सीएम डैशबोर्ड की पहचान बना हुआ है।
कायम है राजे का राज

डीओआईटी ने सूबे के मुखिया और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित करने के लिए भी मुख्यमंत्री का एक अधिकारिक मोबाइल एप भी लांच किया था। इस एप के जरिए राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं, नई योजनाओं और उदघाटन आदि की जानकारी के साथ मुख्यमंत्री तक अपनी शिकायतें और बात पहुंचाने की सुविधा जनता को दी गई थी। भाजपा राज में वसुंधरा राजे की हनक का आलम यह था कि विभाग ने इस एप का नाम सीएम एप की बजाय वसुंधरा राजे ही रख दिया। सूबे में भले ही अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बने हुए 100 दिन से ज्यादा गुजर चुके हों, लेकिन डीआईटीओ में अब भी वसुंधरा राजे का ही राज कायम हैं। यदि ऐसा न होता तो मुख्यमंत्री के अधिकारिक मोबाइल एप का नाम वसुंधरा राजे की बजाय अशोक गहलोत हो चुका होता।
शुक्रिया पत्रिका, जल्द सुधारेंगे गलती

इस बाबत जब डीओआईटी के अाला अफसरों से बात की गई तो पहले वह इसकी जिम्मेदारी एक दूसरे पर टालने लगे, लेकिन पोल खुलने के डर से शाम होने तक विभाग सक्रिय हो गया। आखिर में डीओआईटी के एसीपी प्रद्युमन दीक्षित ने जानकारी दी कि एप सेंटर अपडेट नहीं हो सका था। जिसकी वजह से सीएम डैशबोर्ड एप के आइकन में पूर्व मुख्यमंत्री का फोटो आ रहा था। वहीं वसुंधरा राजे एप को प्ले स्टोर से तो हटा लिया गया था, लेकिन राज एप सेंटर पर उसका आइकन नहीं हटाने के कारण पूर्व मुख्यमंत्री के नाम से बना मोबाइल एप वसुंधरा राजे ही शो हो रहा था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ऑफीसियल एप अभी तैयार हो रहा है। राजस्थान पत्रिका के जानकारी देने के बाद वसुंधरा राजे एप को हटाने के साथ ही सीएम डैशबोर्ड के आइकन से पूर्व मुख्यमंत्री का फोटो भी जल्द ही हटा दिया जाएगा।

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