scriptवीएमओयू में कुलपति ने चलाई जूली फ्लोरा पर कुल्हाड़ी | Vice Chancellor wielding ax to wipe off Julie Flora | Patrika News

वीएमओयू में कुलपति ने चलाई जूली फ्लोरा पर कुल्हाड़ी

locationकोटाPublished: Jan 27, 2020 11:00:45 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

विलायती बबूल के कांटे हटा कर विवि ने तैयार किया फूलों की क्यारी से भरा रिपब्लिक गार्डन

वीएमओयू में कुलपति ने चलाई जूली फ्लोरा पर कुल्हाड़ी

वीएमओयू में कुलपति ने चलाई जूली फ्लोरा पर कुल्हाड़ी

कोटा. गणतंत्र दिवस के दिन वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (वीएमओयू) का नजारा एकदम अलग ही था। राष्ट्र ध्वज फहराने के बाद कुलपति से लेकर विवि के शिक्षकों और कर्मचारियों ने हाथों में कुल्हाडिय़ां उठा लीं और विवि परिसर में फन उठा रहीं जूली फ्लोरा (विलायती बबूल) की जड़ों पर प्रहार करने में जुट गए। विलायती बबूल के कांटे हटाकर तैयार किए गए रिपब्लिक पार्क में गणतंत्र दिवस का समारोह धूमधाम से मनाया गया।

राजस्थान की जमीन से विलायती बबूल को जड़मूल खत्म करने की राजस्थान पत्रिका की मुहिम रंग लाने लगी है। गणतंत्र दिवस पर विलायती बबूल की झाडिय़ों पर कुल्हाड़ी चला वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय (वीएमओयू) के कुलपति प्रो. आरएल गोदारा ने 75 एकड़ में फैले विवि परिसर को विलायती बबूल मुक्त बनाने की मुहिम की शुरुआत की।
श्रमदान की मची होड़
कुलपति प्रो. गोदारा ने विवि परिसर से विलायती बबूल की झाडिय़ों को जड़ समेत खत्म करने के लिए खुद कुल्हाड़ी चलाई। उनके बाद विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों में श्रमदान की होड़ मच गई। हालांकि इससे पहले विवि के एक पार्क में जड़ें जमा चुकीं विलायती बबूल की झाडिय़ों को पूरी तरह हटाकर फूलों और हरे भरे पेड़ों की खूबसूरत क्यारियां तैयार की गई। कांटे हटते ही पार्क की खूबसरती देखते ही बन रही थी। कुलपति प्रो. गोदारा ने इस पार्क में 71 वें गणतंत्र दिवस के समारोह का आयोजन कराया और इसे रिपब्लिक पार्क का नाम भी दिया।
पत्रिका अभियान से जुड़ा वीएमओयू
प्रो. गोदारा ने बताया कि राजस्थान पत्रिका ने राजस्थान को विलायती बबूल मुक्त करने का बीड़ा उठाया है उससे विवि भी पूरी तरह जुड़ चुका है। विवि परिसर के करीब 50 एकड़ क्षेत्रफल में फैले खाली परिसर को पूरी तरह जूली फ्लोरा मुक्त बनाएंगे। इसके साथ ही सातों क्षेत्रीय अध्यन केंद्रों और गोद लिए गए गांवों को विलायती बबूल मुक्त बनाने की मुहिम छेड़ी जाएगी।
विलायती बबूल की झाडिय़ों को जड़ से उखाडऩे के बाद केमिलकल ट्रीटमेंट करवाया जाएगा और इसके बाद स्थानीय प्रजाति के कम पानी में उगने वाले फलदार पेड़ों जैसे बिल्व पत्र, लसोड़ा, खेजड़ी, झाल, कुमटा, गुंदी, इमली, जामुन, बांस, बैर, नीम, पीपल, बरगद एवं एलोवेरा आदि के पौधों का रोपण किया जाएगा। पौधारोपण के दौरान इस बात पर जोर दिया जाएगा कि पौधों की कम से कम 80 फीसदी तादाद चार सालों तक हर हाल में जीवित रहे।
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