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विजय दिवस पर विशेष : डाक टिकट पर 4 महीने पहले ही आजाद हो गया था बांग्लादेश

locationकोटाPublished: Dec 16, 2019 02:02:13 pm

Submitted by:

​Zuber Khan

भारत और बांग्लादेश के लिए 16 दिसम्बर का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन पाकिस्तान के हजारों सैनिकों ने समर्पण कर बांग्लादेश के निर्माण की नींव को पुख्ता कर दिया था।

Vijay Diwas

विजय दिवस पर विशेष : डाक टिकट पर 4 महीने पहले ही आजाद हो गया था बांग्लादेश

सुरक्षा राजौरा. कोटा. भारत और बांग्लादेश के लिए 16 दिसम्बर का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन पाकिस्तान के हजारों सैनिकों ने समर्पण कर बांग्लादेश के निर्माण की नींव को पुख्ता कर दिया था। मजेदार बात यह कि बांग्लादेश में इससे करीब चार महीने पहले ही अपने अलग देश के रूप में डाक टिकट जारी कर दिए थे। इसमें भी ब्रिटेन भी मददगार था, जो भारत पाक विभाजन में पाकिस्तान का साथ दे रहा था। वे बाद में बांग्लादेश के निर्माण में मुक्तिवाहिनी के सहयोगी हो गए। कोटा के डाक टिकट संग्रहक नरेन्द्र जैरथ के पास यह दुर्लभ डाक टिकट संग्रह में मौजूद है।
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पूर्वी पाकिस्तान से अपनी आजादी की लड़ाई के दौरान मुजीबनगर सरकार ने आजाद किए इलाकों में अपने फील्ड ऑफिसर बना दिए थे। बांग्लादेश के गठन के चार महीने पहले 29 जुलाई 1971 को आठ डाक टिकट का सेट व प्रथम दिवस अनावरण जारी किया गया। प्रथम दिवस अनावरण पर तब स्टेम्प्स ऑफ बांग्लादेश सेन्ट्रल पोस्ट ऑफिस की मुहर भी लगाई गई थी। इसमें दस पैसे के डाक टिकट पर बांग्लादेश का नक्शा, बीस पैसे के टिकट पर ढाका विवि नरसंहार, पचास पैसे के टिकट पर 75 मिलियन देशवासियों का देश, एक रुपए के टिकट पर बांग्लादेश का झंडा, दो रुपए के टिकट पर 98 फीसदी चुनावी विजय, तीन रुपए के टिकट पर आजादी का शंखनाद स्वत: टूटती बेडिय़ों को दर्शाया गया था। पांच रुपए के टिकट पर शेख मुजीर्बुरहमान, दस रुपए के टिकट पर बांग्लादेश के नक्शे के साथ सपोर्ट बांग्लादेश लिखा गया था। इन टिकटों के डिजाइन बीमन मल्लिक ने बनाए थे। जैरथ ने 1971 में इन डाक टिकटों को कलकत्ता के बांग्लादेश मिशन सेन्ट्रल पोस्टऑफिस से मंगवाया था।

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ब्रिटिश सांसद ने छपवाए थे
डाक टिकट के पीछे ब्रिटिश सांसद जोन स्टोनहाउस का हाथ था। उन्होंने अपने स्तर पर इन डाक टिकटों को खुद के खर्च पर छपवा कर इन्हें बेच कर आंदोलन के लिए धन अर्जित करना शुरू किया। वे यूरोप में इस आंदोलन को लोकप्रिय करने में भी इसका उपयोग करते रहे। ये डाक टिकट बिना किसी वाटरमार्क के लिथोग्राफिक तरीके से बनाए गए और इंग्लैण्ड में 1.09 पाउण्ड में बेचे गए।
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ऐसे हुए जारी, फिर चली कहानी
29 जुलाई को डाक टिकट जारी करने की सूचना कलकत्ता में 26 जुलाई को एम्बेसडर हुसैनअली ने प्रेस कांन्फ्रेस कर दी थी। डाक टिकट कलकत्ता और लंदन में एक साथ जारी हुए थे। युद्ध में पाकिस्तान की हार के बाद 20 दिसम्बर 1971 से ये टिकट ढाका जीपीओ से मिलने शुरू हो गए थे। पहले इन पर रुपए ही अंकित था, जो बाद में टका लिखा जाने लगा।
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