करमोकर: जितने भी बच्चे हैं जो अभी स्कूल में हैं और उन्हें आर्ट में रुचि है और वे आगे बढऩा चाहते हैं, जरूरी नहीं है वे आर्टिस्ट ही बनें या इसी दिशा में कैरियर बनाए। आर्ट का अर्थ जीवन जीने के तरीके से है। यह एक अभिव्यक्ति का माध्यम है। यदि कैरियर बनाना है तो इसकी पढ़ाई भी कर सकते हैं, जो सीखें उसे इंडस्ट्री में एप्लाई कर सकते हैं।
करमोकर: इस दौर में रोजगार और आगे बढऩे के बहुत ज्यादा अवसर हैं। कोटा में पांच दिन में बहुत से विद्यार्थी आए, लेकिन उनमें से किसी ने भी यह सवाल नहीं किया इसके माध्यम से रोजगार कैसे करें। उन्होंने पूछा हम बनाएं क्या और कला को आगे कैसे बढ़ाए। यह बात बहुत सुखद है। जहां तक रोजगार की बात है तो आज की पीढ़ी बहुत जागरूक और सोशल मीडिया के जरिए कनक्टेड है। इससे देश दुनिया के दूसरे कलाकारों के संपर्क में रह सकते हैं। दस साल पहले ऐसा विकल्प नहीं था।
करमोकर : मैंने 1980 में फाइन आर्ट की पढ़ाई करके काम शुरू किया, विदेश भी पढऩे गया। उसके बाद अलग-अलग देशों में प्रदर्शनी लगाई। 12 साल दूसरे देशों में रहा। इस दौर में ईमेल और सोशल मीडिया का फेज आया तो बहुत कुछ आसान हो गया।
करमोकर: अपने इतिहास, अपने देश की कला को पढ़े, कलाकार और देश का नेतृत्व करने वाले बड़े लोगों की जीवनी को पढ़ें। जब भूत और भविष्य को जान पाएंगे तो कला को आगे ले जा पाएंगे। देश के क्रॉफ्ट और कलाकारों के बारे में भी पढ़ाई करें और उन्हें भी आगे ले जाएं।