सीएडी चम्बल के क्षेत्रीय विकास आयुक्त कैलाशचंद मीना ने मंगलवार को चम्बल की दाईं मुख्य नहर में 2000 क्यूसेक तथा बाईं मुख्य नहर में 500 क्यूसेक पानी छोडऩे का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद दोनों नहरों में जल प्रवाह शुरू कर दिया है। बाईं मुख्य नहर शुरुआत में 100 क्यूसेक तथा दाईं मुख्य नहर में 500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। धीरे-धीरे जल प्रवाह बढ़ाया जाएगा।
सीएडी के क्षेत्रीय विकास आयुक्त ने आदेश में कहा कि राजस्थान में मानसून की पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण किसानों एवं जनप्रतिनिधियों की मांग को देखते हुए खरीफ फसलों को सूखने से बचाने के लिए मुख्य नहर में आवश्यकता के अनुसार दो हजार क्यूसेक तथा बाईं मुख्य नहर में करीब 500 क्यूसेक पानी तुरंत प्रभाव से पानी की उपलब्धता तक छोड़े जाने के आदेश जारी किए हैं।
पत्रिका बनी किसानों की आवाज
मानसून की बेरुखी के कारण सिंचित क्षेत्र में फसलें सूखने लग गई थी, इसके चलते राजस्थान पत्रिका में हाड़ौतीभर में फसलों की स्थिति को लेकर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित करना शुरू किया। इसमें बताया कि चम्बल के बांधों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी है, इसलिए खरीफ की फसलों को बचाने के नहरों में पानी छोड़ा जा सकता है। पत्रिका के समाचारों के बाद किसान संगठन और जनप्रतिनिधि सक्रिय हुए और आंदोलन शुरू हुआ। संभागीय आयुक्त ने पहल कर एक दशक में पहली बार मध्यप्रदेश के चम्बल संभाग के संभागीय आयुक्त के साथ कोटा में बैठक की। इसके बाद पानी छोडऩे का मार्ग प्रशस्त हुआ।