मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैय्या की जयन्ती को राष्ट्रीय अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 15 सितम्बर, 1861 को जन्मे विश्वेश्वरैय्या ने वर्ष 1883 में विज्ञान महाविद्यालय पूना से बीई की उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की थी। उनकी जनहितकारी सेवाओं को देखते हुए वर्ष 1955 में उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विज्ञान केन्द्र, क्षेत्रीय कार्यालय, कोटा में आयोजित प्रदर्शनी में इंफेन्टरी डिविजन, एयर डिफेंस डिविजन, इंजीनियरिंग कॉलेज कोटा, पॉलीटेक्निक कॉलेज कोटा आदि संस्थाओं ने प्रदर्शनी लगाई। उद्घाटन मुख्य अतिथि विधायक संदीप शर्मा, विशिष्ट अतिथि एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी व कैप्टन आयुष शर्मा थे। अध्यक्षता परियोजना अधिकारी भुवनेश कुमार शर्मा ने की।
इस अवसर पर विज्ञान केन्द्र, क्षेत्रीय कार्यालय, कोटा में आयोजित प्रदर्शनी में इंफेन्टरी डिविजन, एयर डिफेंस डिविजन, इंजीनियरिंग कॉलेज कोटा, पॉलीटेक्निक कॉलेज कोटा आदि संस्थाओं ने प्रदर्शनी लगाई। उद्घाटन मुख्य अतिथि विधायक संदीप शर्मा, विशिष्ट अतिथि एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के निदेशक नवीन माहेश्वरी व कैप्टन आयुष शर्मा थे। अध्यक्षता परियोजना अधिकारी भुवनेश कुमार शर्मा ने की।
अभियांत्रिकी डिविजन द्वारा सेना के काम में आने वाले अत्याधुनिक उपकरणों, रडार एवं रासायनिक, जैविक, न्यूक्लियर हमलों से रक्षा करने वाले उपकरणों का प्रदर्शन किया। एयर डिफेंस डिविजन द्वारा अरावली वेपन सिस्टम का प्रदर्शन किया गया।
इनकी ये मारक क्षमता जेडीयू 23 एमएम टूबी गन : यह 2500 मीटर तक दुश्मनों पर अटैक कर सकती है। यह मात्र 9.50 किग्रा की है। 1600 से 2000 तक राउंड प्रति मिनट बैरल पर चलते हैं।
81 एमएम मोटर : न्यूनतम 90 किमी व अधिकतम 5 हजार दूरी मारक क्षमता है। 45.300 किग्रा की है। एटीजेएम : यह 4 किमी तक दुश्मनों के टैंक को तोडऩे में काम आती है।
बेटल फील्ड सरवणस रडार : यह बारिश, बर्फ में छिपे दुश्मनों पर अटैक कर सकती है। 84 एमएम रॉकेट लॉन्चर एमके तृतीय : यह 500 से 21 हजार किमी दूर 6 बार राउण्ड फायर कर सकती है।
5.56 एलएमजी गन : 30 गोली एक साथ फायर करती है। 40 एमएस अंडर बैरल लॉंन्चर ग्रेनेड 30 एमएम ऑटोमैटिक ग्रेनेड लॉन्चर : 17 व 1800 गन मशीन यह 7 किमी तक प्रभावित क्षेत्र में काम करती है।
माइन शूज : यह शूज भूमिगत विस्फोटक में बचाव के लिए काम आते हैं।