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अनदेखी से टागइर रिजर्व में छाया मौत का मातम

locationकोटाPublished: Aug 05, 2020 12:47:28 pm

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

जांच के लिए भेजी गई विसरा रिपोर्ट जल्दी लेने में रुचि नहीं दिखाई। जानकारों के अनुसार यह रिपोर्ट जल्द मिल जाती तो बीमारी का पता लगाकर अन्य बाघों को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती।

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मुकुंदरा हिल्स नेशनल टाइगर रिजर्व

कोटा. मुकुंदरा हिल्स नेशनल टाइगर रिजर्व में जब बाघ-बाघिनों को शिफ्ट किया गया तभी से रिजर्व के अंदर की गतिविधियों को विभाग की ओर छिपाया जाता रहा है। रिजर्व को सलाह देने के लिए बनाई गई कमेटी की भी अनदेखी की गई है। टाइगर रिजर्व की सूचनाएं बाहर नहीं आए, इस पर अधिकारियों को जोर रहा। गत मई माह में एमटी-4 बाघिन के शावक होने की सूचना को भी विभाग ने छिपाया। फोटो वायरल होने पर अधिकारियों ने बात स्वीकारी, लेकिन उसे अभी तक एमटी-4 का शावक घोषित नहीं किया गया है। इसी तरह 23 जुलाई 2020 को बाघ की मौत के ठोस कारण जानने में भी विभाग ने रुचि नहीं दिखाई। जांच के लिए भेजी गई विसरा रिपोर्ट जल्दी लेने में रुचि नहीं दिखाई। जानकारों के अनुसार यह रिपोर्ट जल्द मिल जाती तो बीमारी का पता लगाकर अन्य बाघों को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती। मौके पर गए वन्यजीव प्रेमियों ने बताया कि रिजर्व में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन बाघ की मौत के बाद दूसरे बाघ-बाघिन और शावकों की नहीं तलाशा जा सका। वन्य प्रेमियों ने यह भी बताया कि जब बाघ-बाघिन की मौत संक्रमण से हुई तो फाइटिंग की बात कहकर क्यों गुमराह किया जा रहा है।
ये रही बड़ी लापरवाही

1. जब बाघ की मौत संक्रमण से हो चुकी तो फिर शेष बाघ, बाघिन और शावकों को बीमारी से बचाने का प्रयास नहीं किया गया। उन्हें बाघ की मौत के बाद तलाशा तक नहीं गया।
2. विभाग के चिकित्सक समय पर संक्रमण या किसी अन्य बीमारी का पता नहीं लगा पाए।
3. बाघों के रेडियो कॉलर लगे हैं, फिर भी उनकी लोकेशन का पता नहीं कर आए, इससे भी सवाल उठ रहे हैं।
जिम्मेदारों पर करेंगे कार्रवाई: मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक
इस बीच मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकडॉ. जी.वी. रेड्डी ने पूरे प्रकरण को लेकर राजस्थान पत्रिका से बातचीत में कहा कि मुकुन्दरा में दोनों बाघों की मौत के कारणों की जांच की जा रही है। जो भी जिम्मेदार होगा, निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी। बाघिन की मौत की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही पता चल सकेगी। लापता शावक को तलाशने में रिजर्व व अन्य स्टाफ लगा रखा है, लेकिन उसकी अभी जानकारी नहीं मिली है। घायल मिला शावक ठीक है व बेहतर उपचार के लिए उसे कोटा रैफर किया है। एमटी वन कैमरा ट्रेप में नजर आया है, जो स्वस्थ व सुरक्षित है। रिजर्व में बाघों की मौत दु:खद है, लेकिन मुकुन्दरा को आबाद करने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।

वन विभाग की बड़ी चूक
ग्रीन कोर सोसायटी के सचिव डॉ. सुधीर गुप्ता ने इस प्रकरण को लेकर कहा, बाघिन की मौत बड़ी क्षति है। इसकी मौत के पीछे कहीं न कहीं विभाग से बड़ी चूक हुई। बाघ की मौत के पीछे दूसरे बाघ के साथ संघर्ष बताया जा रहा है, लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। इसमें किसी तरह की लापरवाही को छिपाना सही नहीं होगा। जिस तरह से पहले बाघ की संक्रमण से मौत हुई है, यदि वही संक्रमण से बाघिन की मौत हुई है तो शावक व बाघ एमटी-1 को लेकर भी विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। जिस हालत में बाघिन का शव देखा गया है यह स्थिति जरूरी नहीं कि फाइटिंग के बाद घावों से हो, शव जब पुराना जो जाता है तो भी यह स्थिति हो सकती है। ऐसे हालातों में सुधार करते हुए बाघों के पुनर्वास के प्रयासों से पीछे नहीं हटना चाहिए। अब यहां सुरक्षा बढ़ाते हुए और ज्यादा बाघ शिफ्ट करने की जरूरत है, जिससे पूरा परिवार बना रहे।
बाघ एमटी-1 की सही तरीके से हो मॉनिटरिंग

पूर्व वन अधिकारी दौलत सिंह शक्तावत ने कहा, बाघ की मौत से बड़ा नुकसान हुआ है। हालांकि बाघ-एमटी 1 की साइटिंग एक दिन पहले हुई है, लेकिन फिर भी उसके बारे में ठीक से पता लगाया जाना चाहिए कि कहीं उसे भी चोट तो नहीं। फाइटिंग में उसे भी तो चोट संभव हो सकती है। यदि चोट लगी है तो घाव के गंभीर होने की आशंका रहती है। एक शावक मिला है, दूसरे शावक का जल्द पता लगाया जाना चाहिए।
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