2. विभाग के चिकित्सक समय पर संक्रमण या किसी अन्य बीमारी का पता नहीं लगा पाए।
3. बाघों के रेडियो कॉलर लगे हैं, फिर भी उनकी लोकेशन का पता नहीं कर आए, इससे भी सवाल उठ रहे हैं।
इस बीच मुख्य वन्यजीव प्रतिपालकडॉ. जी.वी. रेड्डी ने पूरे प्रकरण को लेकर राजस्थान पत्रिका से बातचीत में कहा कि मुकुन्दरा में दोनों बाघों की मौत के कारणों की जांच की जा रही है। जो भी जिम्मेदार होगा, निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी। बाघिन की मौत की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही पता चल सकेगी। लापता शावक को तलाशने में रिजर्व व अन्य स्टाफ लगा रखा है, लेकिन उसकी अभी जानकारी नहीं मिली है। घायल मिला शावक ठीक है व बेहतर उपचार के लिए उसे कोटा रैफर किया है। एमटी वन कैमरा ट्रेप में नजर आया है, जो स्वस्थ व सुरक्षित है। रिजर्व में बाघों की मौत दु:खद है, लेकिन मुकुन्दरा को आबाद करने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।
वन विभाग की बड़ी चूक
ग्रीन कोर सोसायटी के सचिव डॉ. सुधीर गुप्ता ने इस प्रकरण को लेकर कहा, बाघिन की मौत बड़ी क्षति है। इसकी मौत के पीछे कहीं न कहीं विभाग से बड़ी चूक हुई। बाघ की मौत के पीछे दूसरे बाघ के साथ संघर्ष बताया जा रहा है, लेकिन ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। इसमें किसी तरह की लापरवाही को छिपाना सही नहीं होगा। जिस तरह से पहले बाघ की संक्रमण से मौत हुई है, यदि वही संक्रमण से बाघिन की मौत हुई है तो शावक व बाघ एमटी-1 को लेकर भी विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। जिस हालत में बाघिन का शव देखा गया है यह स्थिति जरूरी नहीं कि फाइटिंग के बाद घावों से हो, शव जब पुराना जो जाता है तो भी यह स्थिति हो सकती है। ऐसे हालातों में सुधार करते हुए बाघों के पुनर्वास के प्रयासों से पीछे नहीं हटना चाहिए। अब यहां सुरक्षा बढ़ाते हुए और ज्यादा बाघ शिफ्ट करने की जरूरत है, जिससे पूरा परिवार बना रहे।