गोशाला में वरिष्ठ पशुचिकित्सक डॉ. भंवर सिंह चौधरी ने बताया कि गोशाला में जान गंवाने वाली तीन गायों व बैलों की मौत के बाद इसका पोस्टमार्टम किया, तो इनके पेट से करीब 40 किलो पॉलिथिन की थैलियां निकली। दरअसल, पॉलिथिन से गोवंश की पाचन प्रकिया बाधित हो जाती है और अकाल ही गोवंश काल के गाल में समा जाता है। गोशाला में मरने वाली गायों में अधिकांश गायों की अकाल मौत की जिम्मेदारी ये प्लास्टिक की थैलियां ही है।
थैली में खाद्य पदार्थ ले रहा जान उन्होंने बताया कि प्लास्टिक की थैलियों में खाने-पीने का सामान निकाल लेने के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। इसके अलावा घर और मैस का बचा खाना भी प्लास्टिक की थैली में फेंका जा रहा है। इससे गायें इसे खाकर असमय मारी जा रही हैं।
कैरी बेग का करें इस्तेमाल महापौर राजीव अग्रवाल ने कहा कि गोवंश को असमय मृत्यु से बचाने के लिए कैरी बेग का इस्तेमाल करना चाहिए और प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से बचना चाहिए।
तीन सदस्यीय दल ने किया पोस्टमार्टम गायों की मौत के बाद महापौर अग्रवाल, अतिरिक्त आयुक्त राजेश डागा, गोशाला समिति अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह, पार्षद प्रदीप कसाना, कुलदीप प्रजापति व पीडी गुप्ता गोशाला पहुंचे। इसके बाद तीन सदस्यीय पशु चिकित्सकों ने गोवंश का पोस्टमार्टम किया।