कोटा

आखिर क्यों हुआ दूध फीका

आमतौर पर दूध चीनी मिलाकर ही पिया जाता है, दिशा निर्देशों में दूध कहां से मिलेगा इसका तो जिक्र है लेकिन शक्कर के बारे में कुछ नहीं कहा गया।

कोटाApr 14, 2020 / 08:53 am

Deepak Sharma

Get milk kids in the mid-day meal in bhilwara

कोटा. आगामी दो जुलाई से सरकारी विद्यालयों में कक्षा आठवीं तक के बच्चों को दो जुलाई से पोषाहार में दूध देने की तैयारी की जा रही है। इस बारे में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में आदेश भी पहुंच गए हैं लेकिन दूध में मिठास कैसे घुलेगी, इस बात को लेकर असमंजस बना हुआ है।
योजना के अनुसार प्रत्येक बच्चे को डेढ़ सौ से दो सौ एमएल दूध सप्ताह में तीन दिन मिलेगा। कक्षा पांचवी तक के बच्चों को 150 एमएल व कक्षा 6 से 8 वीं तक के बच्चों को 200 एमएल दूध दिया जाएगा। दूध की गुणवत्ता भी स्वयं शिक्षक जांचेंगे। शिक्षक पहले दूध स्वयं चखेंगे बाद में बच्चों को वितरित करेंगे। लेकिन दूध में डालने वाली चीनी का प्रबंध कहाँ से होगा ये साफ नहीं हुआ|

शक्कर का बजट नहीं
दूध की व्यवस्था के लिए संस्था प्रधानों को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो अपने स्तर पर दूध की व्यवस्था करेंगे। दूध के लिए आवश्यक बर्तन खरीदने के लिए 2500 और प्रति ग्लास के लिए बीस रुपए का बजट दिया गया है।
आमतौर पर दूध चीनी मिलाकर ही पिया जाता है, दिशा निर्देशों में दूध कहां से मिलेगा इसका तो जिक्र है लेकिन शक्कर के बारे में कुछ नहीं कहा गया। अब यह संस्था प्रधानों पर निर्भर है कि वे शक्कर की व्यवस्था अपने स्तर पर करते हैं या भामाशाहों से करवाते हैं।
भाव भी अलग-अलग
सरकारी स्कूलों के बच्चों को तंदरुस्त रखने के लिए शुरू की जा रही दूध पिलाने की योजना में भी फर्क रखा गया है। इसमें शहरी क्षेत्रों में पढऩे वाले बच्चों को 40 रुपए लीटर तथा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को 35 रुपए लीटर वाला दूध मिलेगा। शहरी क्षेत्र के स्कूलों के लिए पाश्च्युरीकृत टोंड मिल्क खरीदना होगा जो सरस का होगा। ग्रामीण क्षेत्र में स्कूलों में खुला दूध खरीदा जाएगा।
कर दी है तैयारी शुरू
स्कूलों में दूध वितरण को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। अभी तक जो निर्देश मिले, उसमें बर्तन एवं गिलास खरीदने का बजट है लेकिन शक्कर का कोई प्रावधान नहीं है।
भीमराज वर्मा, एबीईईओ सांगोद

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