वन्यजीव रोझड़ा व हरिण क्षेत्र के माळ में काफी अधिक संख्या में हैं। दिन में तो किसान फसल की रखवाली कर लेता है, लेकिन रात में फसल बचाना मुश्किल हैै। किसान रमेशचन्द नागर, महेन्द्र कुमार नागर, पटेल बृजराज यादव, महेन्द्र कुमार यादव, कृष्णगोपाल नागर व गिरिराज सुमन ने बताया कि दिन में वन्यजीव खेत में दूर से नजर आ जाते हैं, लेकिन रात में टॉर्च की रोशनी में खेत के एक कोने से दूसरे छोर पर नहीं देखा जा सकता है।
किसान एक छोर पर रखवाली करता है तो वन्यजीव दूसरे छोर पर फसल को नुकसान करते हैं। कई किसान तो समूह के रूप में फसल की रखवाली करने लगे हैं। आसपास के चार-पांच खेत मालिक या रखवाले मिलकर फसल को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हंै। किसानों का कहना है कि वन्यजीव दिनोंदिन उनके लिए परेशानी बनते जा रहे हैं। वन्यजीवों के कारण न दिन में आराम मिलता है, न रात में चैन से सो सकते हैैं।
वन विभाग के बूते से बाहर है समाधान
किसान प्रतिवर्ष इस समय वन्यजीवों से हो रही समस्या को उठाते हैं। समय-समय पर जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराते हैं। किसानों की इस समस्या को लेकर वन विभाग तो पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुका है। वन विभाग के अधिकारी हमेशा एक ही बात कहते हंै कि एक वन्यजीव हो तो उसका समाधान हम अपने स्तर पर कर सकते हैं, लेकिन सैकड़ों की संख्या में विचरण कर रहे वन्यजीवों की समस्या का कोई समाधान नहीं है।
किसान प्रतिवर्ष इस समय वन्यजीवों से हो रही समस्या को उठाते हैं। समय-समय पर जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराते हैं। किसानों की इस समस्या को लेकर वन विभाग तो पहले ही अपने हाथ खड़े कर चुका है। वन विभाग के अधिकारी हमेशा एक ही बात कहते हंै कि एक वन्यजीव हो तो उसका समाधान हम अपने स्तर पर कर सकते हैं, लेकिन सैकड़ों की संख्या में विचरण कर रहे वन्यजीवों की समस्या का कोई समाधान नहीं है।
रातभर टॉर्च की रोशनी में कड़ाके की सर्दी के बीच फसल की रखवाली करनी पड़ती है। खेत में बनाई गई झौपड़ी के अंदर नींद लग गई तो वन्यजीव फसल के बीच ही खड़े नजर आते हैं। किसानों के लिए खेत से फसल को सुरक्षित घर लाना चुनौती से कम नहीं है। समय रहते समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।
प्रकाशचन्द बोहरा, किसान मोईकलां
वन्यजीवों से परेशान होकर किसानों ने इस वर्ष धनिए व गेहूं की फसल माळ के खेतों में काफी कम की है। फिर भी जिन किसानों ने चना, धनिया व गेहूं की बुवाई की है, उनके लिए तो रात की रखवाली भारी पड़ रही है। कई किसानों ने तो 7 से 8 हजार रुपए महीने पर मजूदरों को फसल के लिए रखवाली पर लगाया है।
वन्यजीवों से परेशान होकर किसानों ने इस वर्ष धनिए व गेहूं की फसल माळ के खेतों में काफी कम की है। फिर भी जिन किसानों ने चना, धनिया व गेहूं की बुवाई की है, उनके लिए तो रात की रखवाली भारी पड़ रही है। कई किसानों ने तो 7 से 8 हजार रुपए महीने पर मजूदरों को फसल के लिए रखवाली पर लगाया है।
पवन कुमार यादव, किसान
फसलों को रौंद रहे वन्यजीव चेचट. वन क्षेत्र से सटे कई गांवों में वन्यजीवों व मवेशियों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। वन्यजीव खेतों में फसलों को रौंदकर बर्बाद कर रहे हैं। किसान सर्द रातों में जान जोखिम में डालकर फसलों की रखवाली कर रहे हैं। क्षेत्र के दर्जनों गांवों में नीलगाय, सूअर, रोजड़ा सरसों, अजवायन, चना व गेहंू के खेतों में घुसकर फसलें नष्ट कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि वन्यजीव दिन में सरसो की फसल में छिप जाते हैं। रात को फसलों को नष्ट कर देते हैं।
वन क्षेत्र की नहीं बाड़बंदी
फसलों को रौंद रहे वन्यजीव चेचट. वन क्षेत्र से सटे कई गांवों में वन्यजीवों व मवेशियों ने किसानों की नींद उड़ा रखी है। वन्यजीव खेतों में फसलों को रौंदकर बर्बाद कर रहे हैं। किसान सर्द रातों में जान जोखिम में डालकर फसलों की रखवाली कर रहे हैं। क्षेत्र के दर्जनों गांवों में नीलगाय, सूअर, रोजड़ा सरसों, अजवायन, चना व गेहंू के खेतों में घुसकर फसलें नष्ट कर रहे हैं। किसानों ने बताया कि वन्यजीव दिन में सरसो की फसल में छिप जाते हैं। रात को फसलों को नष्ट कर देते हैं।
वन क्षेत्र की नहीं बाड़बंदी
राजस्थान की सीमा क्षेत्र से सटे जंगल को एमपी सरकार ने सेन्चुरी घोषित कर जानवरों का निवास तो बना दिया, लेकिन जंगल क्षेत्र की बाड़बंदी नहीं करने से जंगली जानवर जंगल किनारे स्थित खेतों में घुसकर फसलों को नष्ट कर रहे हैं। किसानो ने जंगल क्षेत्र में चारदीवारी बनाने की मांग की है।