विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में अफ्रीकी चीतों के विस्थापन के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के जंगल मुफीद माने गए हैं। मध्यप्रदेश में कुनो पालपुर अभयारण्य चीता के विस्थापन के लिए सबसे मुफीद माना गया है। इसके अलावा राजस्थान में हाड़ौती के जंगल भी चीतों के पुनर्वास के लिए बेहतर माने गए हैं।
मुकुन्दरा, गांधीसागर, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य देखे
कोटा के वन्यजीव प्रेमियों ने यहां चीते के पुनर्वास का विरोध किया है। उनका कहना है कि चीते के लिए बारां के शेरगढ़ अभयारण्य को विकसित किया जा सकता है। यह जंगल मैदानी है। घास भी खूब है। परवन बांध बनने के कारण वन विभाग को 110 करोड़ रुपए मिले हैं। इस राशि से एनोक्लजर तैयार किया जा सकता है। वहां सिर्फ दो परिवार रहते हैं, उन्हें हटाने में दिक्कत नहीं होगी। ऐसे में अभयारण्य में मानवीय दखल भी कम होगा।