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अफ्रीकन चीतों के लिए मुकुंदरा क्यों, शेरगढ़ विकसित करो

locationकोटाPublished: Jul 07, 2022 01:26:51 am

Submitted by:

Deepak Sharma

अफ्रीकन चीतों के विस्थापन के लिए पिछले दिनों वन्यजीव विशेषज्ञों के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा एनक्लोजर के निरीक्षण ने बाघों को लेकर नया सवाल खड़ा कर दिया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि मुकुन्दरा हिल्स अभयारण्य बाघों के लिए मुफीद है। यहां चीतों को लाना उचित नहीं है। वर्तमान में अभयारण्य में एक बाघिन है। पूर्व में यहां लाए एक बाघ और बाघिन की बीमारी से मौत हो गई थी। वहीं एक बाघ करीब दो साल से लापता है, जबकि एक शावक की मौत हो चुकी है और एक लापता है।

अफ्रीकन चीतों के लिए मुकुंदरा क्यों, शेरगढ़ विकसित करो

अफ्रीकन चीतों के लिए मुकुंदरा क्यों, शेरगढ़ विकसित करो

जयप्रकाश सिंह
कोटा. अफ्रीकन चीतों के विस्थापन के लिए पिछले दिनों वन्यजीव विशेषज्ञों के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा एनक्लोजर के निरीक्षण ने बाघों को लेकर नया सवाल खड़ा कर दिया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि मुकुन्दरा हिल्स अभयारण्य बाघों के लिए मुफीद है। यहां चीतों को लाना उचित नहीं है। वर्तमान में अभयारण्य में एक बाघिन है। पूर्व में यहां लाए एक बाघ और बाघिन की बीमारी से मौत हो गई थी। वहीं एक बाघ करीब दो साल से लापता है, जबकि एक शावक की मौत हो चुकी है और एक लापता है।
जानकारों के मुताबिक, वर्ष 1947 में छत्तीसगढ़ में सरगुजा के राजा के साथ चीतों के आखिरी शिकार की फोटो देखी गई। केन्द्र सरकार ने 1952 में देश से चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था। पिछले एक दशक से देश में चीतों के विस्थापन की योजना है। ईरान के इनकार के बाद अब दक्षिण अफ्रीका और नाम्बिया से चीते लाने की कवायद की जा रही है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान प्रबल दावेदार
विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में अफ्रीकी चीतों के विस्थापन के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के जंगल मुफीद माने गए हैं। मध्यप्रदेश में कुनो पालपुर अभयारण्य चीता के विस्थापन के लिए सबसे मुफीद माना गया है। इसके अलावा राजस्थान में हाड़ौती के जंगल भी चीतों के पुनर्वास के लिए बेहतर माने गए हैं।
मुकुन्दरा, गांधीसागर, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य देखे
अफ्रीकन चीतों के पुनर्वास के सिलसिले में देश के वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम ने गत माह मुकुन्दरा हिल्स रिजर्व अभयारण्य के दरा एनक्लोजर, गांधीसागर अभयारण्य और भैंसरोडगढ़ अभयारण्य का अवलोकन किया था। वन अधिकारियों के अनुसार, दरा का एनक्लोजर 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं, जिसमें चारदीवारी है। यहां घास का मैदान भी है।
शेरगढ़ अभयारण्य ज्यादा बेहतर
कोटा के वन्यजीव प्रेमियों ने यहां चीते के पुनर्वास का विरोध किया है। उनका कहना है कि चीते के लिए बारां के शेरगढ़ अभयारण्य को विकसित किया जा सकता है। यह जंगल मैदानी है। घास भी खूब है। परवन बांध बनने के कारण वन विभाग को 110 करोड़ रुपए मिले हैं। इस राशि से एनोक्लजर तैयार किया जा सकता है। वहां सिर्फ दो परिवार रहते हैं, उन्हें हटाने में दिक्कत नहीं होगी। ऐसे में अभयारण्य में मानवीय दखल भी कम होगा।
चीतों के पुनर्वास की संभावनाओं के लिए गत दिनों विशेषज्ञों की एक टीम आई थी। सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य किया जाएगा।

एस.आर.यादव, मुख्य वन संरक्षक एवं फील्ड डारेक्टर मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व

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