मध्यप्रदेश और राजस्थान प्रबल दावेदार
विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में अफ्रीकी चीतों के विस्थापन के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के जंगल मुफीद माने गए हैं। मध्यप्रदेश में कुनो पालपुर अभयारण्य चीता के विस्थापन के लिए सबसे मुफीद माना गया है। इसके अलावा राजस्थान में हाड़ौती के जंगल भी चीतों के पुनर्वास के लिए बेहतर माने गए हैं।
मुकुन्दरा, गांधीसागर, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य देखे
विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में अफ्रीकी चीतों के विस्थापन के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के जंगल मुफीद माने गए हैं। मध्यप्रदेश में कुनो पालपुर अभयारण्य चीता के विस्थापन के लिए सबसे मुफीद माना गया है। इसके अलावा राजस्थान में हाड़ौती के जंगल भी चीतों के पुनर्वास के लिए बेहतर माने गए हैं।
मुकुन्दरा, गांधीसागर, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य देखे
अफ्रीकन चीतों के पुनर्वास के सिलसिले में देश के वन्यजीव विशेषज्ञों की टीम ने गत माह मुकुन्दरा हिल्स रिजर्व अभयारण्य के दरा एनक्लोजर, गांधीसागर अभयारण्य और भैंसरोडगढ़ अभयारण्य का अवलोकन किया था। वन अधिकारियों के अनुसार, दरा का एनक्लोजर 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में हैं, जिसमें चारदीवारी है। यहां घास का मैदान भी है।
शेरगढ़ अभयारण्य ज्यादा बेहतर
कोटा के वन्यजीव प्रेमियों ने यहां चीते के पुनर्वास का विरोध किया है। उनका कहना है कि चीते के लिए बारां के शेरगढ़ अभयारण्य को विकसित किया जा सकता है। यह जंगल मैदानी है। घास भी खूब है। परवन बांध बनने के कारण वन विभाग को 110 करोड़ रुपए मिले हैं। इस राशि से एनोक्लजर तैयार किया जा सकता है। वहां सिर्फ दो परिवार रहते हैं, उन्हें हटाने में दिक्कत नहीं होगी। ऐसे में अभयारण्य में मानवीय दखल भी कम होगा।
कोटा के वन्यजीव प्रेमियों ने यहां चीते के पुनर्वास का विरोध किया है। उनका कहना है कि चीते के लिए बारां के शेरगढ़ अभयारण्य को विकसित किया जा सकता है। यह जंगल मैदानी है। घास भी खूब है। परवन बांध बनने के कारण वन विभाग को 110 करोड़ रुपए मिले हैं। इस राशि से एनोक्लजर तैयार किया जा सकता है। वहां सिर्फ दो परिवार रहते हैं, उन्हें हटाने में दिक्कत नहीं होगी। ऐसे में अभयारण्य में मानवीय दखल भी कम होगा।
चीतों के पुनर्वास की संभावनाओं के लिए गत दिनों विशेषज्ञों की एक टीम आई थी। सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य किया जाएगा। एस.आर.यादव, मुख्य वन संरक्षक एवं फील्ड डारेक्टर मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व