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Alert : संभलकर रहें कोटावासियों, नवम्बर तक जान को खतरा, रात को रहें सावधान

14 लाख रुपए खर्च के बावजूद चिकित्सा विभाग मलेरिया रोक नहीं पाया। मलेरिया एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। यह रात के समय ही फैलता है। इसका प्रकोप नवम्बर तक रहता है।

कोटाApr 25, 2019 / 12:30 pm

​Zuber Khan

Alert : संभलकर रहें कोटावासियों, नवम्बर तक जान को खतरा, रात को रहें सावधान

कोटा. मौसमी बीमारियों पर चिकित्सा विभाग सालाना 14 लाख रुपए खर्च करता है। इसके बावजूद मलेरिया ( World malaria Day ) रोकथाम नहीं हो पा रहा। आंकड़ों के मुताबिक हर साल बड़ी तादात में Malaria के रोगी सामने आते हैं। हालांकि चिकित्सा विभाग ( medical department ) हर साल अप्रेल से लेकर नवम्बर तक मौसमी बीमारियों ( Seasonal diseases ) से जंग के लिए आशा सहयोगिनी, नर्सिंग कॉलेज स्टूडेंट, अन्य अधिकारी व कर्मचारियों की कुल डेढ़ हजार टीमें मैदान में उतारता है, लेकिन रोकथाम पर असर नहीं हो रहा।
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जुलाई से नवम्बर तक खतरा
मलेरिया रोग संक्रामित मादा एनोफेलिज जाति के Mosquito के काटने से फैलता है। मुख्यत: दो प्रकार का मलेरिया पाया जाता है। पहला वाइवैक्स व दूसरा फैल्सीपेरस मलेरिया। इसका प्रकोप जुलाई से नवम्बर तक होता है। मलेरिया फैलाने वाले मच्छर ठहरे हुए साफ पानी में पनपते हैं।

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रात को रहें सावधान
एन्ट्रोलॉजिस्ट डीपी चौधरी ने बताया कि‍ मलेरिया एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। यह रात के समय फैलता है। यह मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते है। कोटा में पिछले दो-तीन सालों में मलेरिया केसों में कमी आई है। मलेरिया रोकथाम के लिए विभाग की ओर से हर साल गतिविधियां की जाती है। अभियान चलाकर एंट्री लार्वा एक्टिविटी व डीडीटी का छिड़काव किया जाता। पिछले साल आने वाले मरीजों का फोलोअप किया जाता है। सभी केन्द्रों पर मलेरिया जांच व दवाइयों की सुविधा उपलब्ध है।

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रोकथाम के प्रयास
सीएमएचओ डॉ. बीएस तंवर ने बताया कि‍ मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। अलग- अलग नौ कार्यक्रम चलते है। गांवों में मलेरिया के केसों की कुछ कमी आई है, लेकिन और कम लाने का प्रयास करेंगे।


कैथून में सबसे ज्यादा मरीज
चिकित्सा विभाग के पिछले साल के आंकड़े देखे तो कोटा जिले के कैथून, चेचट व सांगोद क्षेत्र में मलेरिया का सबसे ज्यादा असर देखने को मिला। 2015 में कैथून में 132, चेचट में 70, सांगोद में 45, कोटा शहर में 140, 2016 में कैथून में 184, चेचट में 67, सांगोद में 59, कोटा शहर में 100, 2017 में कैथून में 144, चेचट में 75, सुल्तानपुर में 58, सांगोद में 44, कोटा शहर में 74, 2018 में कैथून में 102 व शहर में 18 मरीज सामने आए थे।

कैसे करें पहचान
– मरीज को सर्दी व कंपकंपी के साथ तेज बुखार आना
– सिरदर्द होना
– बदन दर्द होना
– उल्टियां आना
-बुखार उतरते समय बदन का पसीना-पसीना होना।


सावधानियां
– पूरी बांह के कपड़े पहने।
– मच्छरदानी का प्रयोग करें।
– बंद कमरे में जितना हो सके क्वॉइल का प्रयोग नहीं करे।
– घर में पानी को जमा नहीं होने दे।
– जमा पानी में ऑयल डाले।
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डेंगू-स्वाइन फ्लू के चक्कर में मलेरिया भूले
कोटा में 2015 से डेंगू व स्वाइन फ्लू का प्रकोप चल रहा है। इसके चलते विभाग कोटा में ही उलझा रहा। उसे आसपास क्षेत्रों में मलेरिया उन्मूलन के लिए समय नहीं मिला। इसके चलते हर साल आंकड़ों में बढ़ोतरी देखने को मिली। 2015 से अब तक कुल 1573 मलेरिया के मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें 2016 में 2 मरीजों की मौत भी हो चुकी है।

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