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इस कारण जूझ रही दुनिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2015 में तकरीबन आधी दुनिया मलेरिया के खतरे से जूझ रही थी। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2016 के अनुसार साल 2015 में दुनिया भर में मलेरिया के 21 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए। इस बीमारी के चलते इसी साल कुल 4 लाख 29 हजार जिंदगियां खत्म हो गईं। रिपोर्ट कहती है कि मलेरिया हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत की वजह बनता है। जबकि दुनियाभर में अभी भी 91 देश ऐसे हैं जहां, मलेरिया के मामले पाए जाते हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि स्थिति कितनी चुनौतीपूर्ण है।
इस कारण जूझ रही दुनिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2015 में तकरीबन आधी दुनिया मलेरिया के खतरे से जूझ रही थी। विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2016 के अनुसार साल 2015 में दुनिया भर में मलेरिया के 21 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए। इस बीमारी के चलते इसी साल कुल 4 लाख 29 हजार जिंदगियां खत्म हो गईं। रिपोर्ट कहती है कि मलेरिया हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत की वजह बनता है। जबकि दुनियाभर में अभी भी 91 देश ऐसे हैं जहां, मलेरिया के मामले पाए जाते हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि स्थिति कितनी चुनौतीपूर्ण है।
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इस कारण नहीं कर पा रहे खात्मा सीनियर फिजिशियन व प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा बताते है कि विश्व में मलेरिया पर नियंत्रण तो हो गया, लेकिन उसे खत्म नहीं कर पा रहे हैं। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहला मलेरिया के मच्छर में कीटनाशक दवाओं के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है। दूसरा मलेरिया परजीवी में एंटी मलेरिया दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जोर दिया है कि मलेरिया शीघ्र निदान हो, सही दवाओं का चयन हो, मलेरिया की दवाओं के अनावश्यक प्रयोग से बचें।
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बचाव के उपाए – दवायुक्त मच्छरदानी का प्रयोग हो – आवासीय इलाकों में गंदा पानी एकत्रित होने से बचाएं – बुखार आने पर चिकित्सक की सलाह लें – घरों में किटनाशक स्प्रे कराएं, उसका असर 6 से 8 माह तक रहता है।