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हो चुकी जेबें ढीली
कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने वार्ड वासियों को अपने चुनाव चिन्ह के रूप वाला सामान ही घर पहुंचा दिया तो कई जगह समर्थक तथा दिहाड़ी पर लगे कई कार्मिक दिन मेें कहीं तों शाम को कहीं जाकर झक्क हो रहे हैं। ‘जिसने पिलाई अंगूरी उसी की जी हजूरीÓ वाली तर्ज पर मदमस्त हो रहे ऐसे लोग प्रत्याशी को जीत का पूरा भरोसा दिलाने मेंं कोई कसर नहीं छोड़ रहे। चुनाव प्रचार के इस झमेले में कई उम्मीदवारों की सारी जेबें ढीली हो चुकी।
हो चुकी जेबें ढीली
कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने वार्ड वासियों को अपने चुनाव चिन्ह के रूप वाला सामान ही घर पहुंचा दिया तो कई जगह समर्थक तथा दिहाड़ी पर लगे कई कार्मिक दिन मेें कहीं तों शाम को कहीं जाकर झक्क हो रहे हैं। ‘जिसने पिलाई अंगूरी उसी की जी हजूरीÓ वाली तर्ज पर मदमस्त हो रहे ऐसे लोग प्रत्याशी को जीत का पूरा भरोसा दिलाने मेंं कोई कसर नहीं छोड़ रहे। चुनाव प्रचार के इस झमेले में कई उम्मीदवारों की सारी जेबें ढीली हो चुकी।
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शादियों के कारण धुकधुकी तेज
मतदान के दिन किस मतदाता को कहां से लाना है। उनके लिए कौनसा वाहन जाएगा यह गणित बिठाई जाना शुरू हो चुका। प्रमुख प्रत्याशियों को सबसे बड़ी चिन्ता तो यह खाए जा रही है कि 11 दिसम्बर को मतदान के दिन शादियों का जोर होने से कई मतदाता कस्बे से बाहर रहेंगे। ऐसे में उनके वोटों की पूर्ति कैसे होगी। इस बात ने दोनों दलों की धुकधुकी तेज कर दी है। एक पार्टी प्रत्याशी की तो बारात ही 10 दिसम्बर की रात लौटेगी।
शादियों के कारण धुकधुकी तेज
मतदान के दिन किस मतदाता को कहां से लाना है। उनके लिए कौनसा वाहन जाएगा यह गणित बिठाई जाना शुरू हो चुका। प्रमुख प्रत्याशियों को सबसे बड़ी चिन्ता तो यह खाए जा रही है कि 11 दिसम्बर को मतदान के दिन शादियों का जोर होने से कई मतदाता कस्बे से बाहर रहेंगे। ऐसे में उनके वोटों की पूर्ति कैसे होगी। इस बात ने दोनों दलों की धुकधुकी तेज कर दी है। एक पार्टी प्रत्याशी की तो बारात ही 10 दिसम्बर की रात लौटेगी।