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कागजों में ही बनकर रह गई जैव विविधता प्रबंधन समितियां

locationकुचामन शहरPublished: Feb 11, 2020 10:52:37 am

Submitted by:

Hemant Joshi

हेमन्त जोशी. कुचामनसिटी.
Biodiversity management committees जैव विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत एनजीटी के आदेशों के बाद गत वर्ष प्रदेश के सभी ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन तो कर लिया गया। लेकिन एक साल बाद भी धरातल पर इन समितियों को ना तो कार्य की जानकारी है और ना ही इन समितियों की ओर से जैव विविधिता पर कोई सकारात्मक कार्रवाई की गई है।

kuchaman. sambhar lake. Biodiversity management

kuchaman. sambhar lake. Biodiversity management


Biodiversity management committees remained on paper जैव विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत एनजीटी के आदेशों के बाद गत वर्ष प्रदेश के सभी ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन तो कर लिया गया। लेकिन एक साल बाद भी धरातल पर इन समितियों को ना तो कार्य की जानकारी है और ना ही इन समितियों की ओर से जैव विविधिता पर कोई सकारात्मक कार्रवाई की गई है।
जी हां, जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन करना तो अनिवार्य है और इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से सख्त निर्देश भी दिए जा चुके है। इसके बावजूद ग्राम पंचायतों में समितियों की कार्रवाई शून्य है। जबकि इन समितियों का मुख्य कार्य जैव संपदा को संरक्षित करने में सहायता करना है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के दिशा निर्देशों के अनुसार प्रदेश में गत वर्ष जैव विविधता प्रबंधन समिति गठित की गई थी। लेकिन खास बात तो यह है कि ग्राम पंचायतों के जिम्मेदारों ने इसे महज प्रशासनिक समितियों के साथ कागजी समिति बनाकर इतिश्री कर ली।
क्या है समितियों के कार्य

समिति द्वारा पारंपरिक फसलें पौधे, पर्यावरण एवं पशुओं की जानकारी को जन जैव विविधता रजिस्टर में संरक्षित करने के साथ ही गांवों की प्राकृतिक संपदाओं का संरक्षण एवं पक्षियों समेत पशुओं की सुरक्षा व्यवस्थाएं दुरुस्त करना है। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़, पौधों, नदी, तालाब, पहाडिय़ों को सुरक्षित रखना, पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए कार्य करना है।
सांभर झील के परिधि क्षेत्र में अब बनेगी पीबीआर
सांभर झील में गत वर्ष हजारों प्रवासी पक्षियों की मौत के बाद अब सरकार झील की परिधि क्षेत्र के आस-पास बसी हुई करीब 23 ग्राम पंचायतों में प्रशिक्षित युवाओं की ओर से लोक जैव विविधता पंजीका बनवाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सांभर के राजकीय महाविद्यालय को एक साल के लिए यह कार्य करने के लिए जिम्मेदारी दी गई है। महाविद्यालय की ओर से प्रशिक्षित युवाओं के द्वारा इन गांवों में पीपुल्स बायोडाइवर्सिटी रजिस्टर तैयार किया जाएगा। सांभर झील परिधि क्षेत्र की यह ग्राम पंचायतें नागौर, जयपुर व अजमेर जिले में शामिल है। जहां यह कार्य कराया जाएगा।
पहले कराया था आर्थिक एवं सामाजिक सर्वे

महाविद्यालय की ओर से वर्ष 2017 में सांभर झील परिधि के दर्जनों गांवों में आर्थिक एवं सामाजिक सेर्व करवाया गया था। जिसकी रिपोर्ट सरकार के पास भिजवाई गई थी। सर्वे में रोचक जानकारी यह सामने आई कि ग्रामीणों ने अपनी पुरखों की जमीनों को रुपयों के लालच में नमक उत्पादन के लिए व्यापारियों को बेच दी और आखिरकार वही ग्रामीण किसान उन्हीं इकाइयों में मजदूर बनकर रह गए।

इनका कहना
हमनें गत वर्ष ही ग्राम पंचायतों में जैव विविधता प्रबंधन समितियां बनवा दी है। समितियों के कार्य के बारे में मुझे याद नहीं है।
रामनिवास चौधरी
विकास अधिकारी, पंचायत समिति नावां

सांभर झील परिधि की 23 ग्राम पंचायतों में पीबीआर बनवाने के लिए कॉलेज का कार्य मिला है। आगामी एक वर्ष में यह कार्य पूर्ण कर रिपोर्ट तैयार करनी है।
सीमा कुलश्रेष्ठ
प्रोफेसर, जूलॉजी
राजकीय महाविद्यालय सांभर।
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