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अब तक खरीदा 22 हजार क्विंटल मूंग, मूंगफली की खरीद भी शुरू

locationकुचामन शहरPublished: Dec 04, 2018 06:18:59 pm

Submitted by:

Kamlesh Kumar Meena

कुचामन खरीद केन्द्र का मामला

Moong crop for farmers to sell in low value

Moong crop for farmers to sell in low value

कुचामनसिटी. शहर के कृषि मंडी स्थित सरकारी खरीद केन्द्र पर अब तक मूंग की 22 हजार क्विंटल की खरीद की जा चुकी है। स्थानीय केन्द्र पर अक्टूबर माह में मूंग की खरीद शुरू हुई थी। इस बार किसानों से पिछली बार से ज्यादा 6975 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद की जा रही है। पिछली बार पुराने समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद की गई थी। इसके अलावा केन्द्र पर मूंगफली की खरीद भी की जा रही है। जानकारी के अनुसार अक्टूबर माह में मूंग की खरीद शुरू होने से पहले उत्पादक किसानों ने ई मित्र केन्द्रों पर जाकर अपनी उपज को बेचने के लिए ऑनलाइन पंजीयन करवाया। ई मित्र केन्द्र पर आधार कार्ड, जमाबंदी, गिरदावरी एवं बैंक पास बुक की डिटेल पोर्टल पर अपलोड करवाई गई। गौरतलब है कि मूंग की खरीद के लिए ऑनलाइन पंजीयन 3 अक्टूबर से शुरू हो गया था। इसके बाद 30 नवम्बर को मूंगफली की खरीद शुरू हुई। जानकारी के अनुसार मूंगफली की अभी तक 600 क्विंटल की खरीद की जा चुकी है। कुचामन खरीद केन्द्र से माल खरीदकर भंडारण के लिए वेयरहाउस में भेजा जा रहा है। पिछली बार कुचामन के खरीद केन्द्र पर 75 हजार क्विंटल की खरीद की गई थी। पिछली बार खरीद केन्द्र से समय पर माल का उठाव नहीं हुआ था, जिससे काफी परेशानी आई थी, लेकिन इस बार माल के उठाव में कोई बाधा नहीं आ रही है।
इनका कहना है
अक्टूबर माह में मूंग की खरीद शुरू हो गई थी। अब तक काफी मूंग की खरीद की जा चुकी है। खरीद केन्द्र पर उपज बेचने के लिए पुरानी व्यवस्था लागू की गई। इसके साथ ही 30 नवम्बर से मूंगफली की खरीद भी शुरू कर दी है। अभी तक खरीद में कोई परेशानी नहीं आई है।
– लालाराम चौधरी, मुख्य प्रबंधक, खरीद केन्द्र, कुचामनसिटी
इधर, पानी की मात्रा कम होने से आधा रह गया प्याज का रकबा
कुचामनसिटी. मीठे प्याज के लिए प्रसिद्ध कुचामन क्षेत्र में पानी की कमी के कारण प्याज का रकबा सिमटता जा रही है। स्थिति यह है कि तीन साल पहले जहां प्याज की रोपाई पांच-छह हजार हैक्टेयर में होती थी, अब वह ढाई से तीन हजार हैक्टेयर तक सिमट कर रह गई है। जानकारों की माने तो प्याज की खेती में पानी की ज्यादा आवश्यकता रहती है। वहीं दूसरी ओर पानी की मात्रा कम होती जा रही है। जहां पानी की उपलब्धता है, वहां पानी की गुणवत्ता सही नहीं है। ऐसे में किसानों के हाथ में निराशा के अलावा कुछ नहीं है। कृषि विभाग के मुताबिक कुचामन क्षेत्र में खरीफ व रबी दोनों सीजनों में प्याज की खेती की जाती है। हालांकि रबी के प्याज का चलन धीरे-धीरे काफी कम हो गया है। क्षेत्र में खरीफ के प्याज की रोपाई ही ज्यादा होती है। वर्तमान में खरीफ के प्याज की रोपाई के कार्य की तैयारियां जोरों पर चल रही है। खरीफ के प्याज की दिसम्बर, जनवरी माह में रोपाई की जाती है। बाद में अप्रेल-मई तक यह फसल तैयार हो जाती है। इसी तरह रबी के प्याज की रोपाई जुलाई-अगस्त में होती है। यह प्याज नवम्बर, दिसम्बर तक तैयार हो जाता है। गौरतलब है कि कुछ वर्षों पहले मौलासर में प्याज का उत्पादन बहुत ज्यादा पैमाने पर होता था, लेकिन अब लगभग खत्म सा हो गया है। इसके पीछे जानकार पानी की कमी को ही मानते हैं। पानी की कमी के कारण रोपाई में ५० प्रतिशत की गिरावट आ गई है।
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