एनजीटी के आदेशों के बाद अब भी ग्राम मोहनपुरा होते हुए जाब्दीनगर एवं गुढा-साल्ट तक करीब 25 किलोमीटर दूरी तक अब भी झील में तारों का जाल फैला हुआ है। कहीं जमींदोज केबलें जा रही है तो कहीं सतह पर ही बिछी हुई है। जगह-जगह नंगे तार खुले पड़े है। जिससे हरसमय करंट का अंदेशा बना रहता है। जगह-जगह खुले पड़े नलकूप हादसों को न्यौता दे रहे है। झील सूखने के बाद बारिश के दिनों में झील में प्रवास के लिए आने वाले विदेशी परिन्दें भी कम हो गए है। जबकि यहां फ्लेमिंगो, साइबेरियन सारस सहित कई प्रवासी पक्षियों का ठहराव होता है।
करोड़ों का कारोबार है मुख्य कारण
सांभर झील में विद्युत निगम व प्रशासन की फौरी कार्रवाई के पीछे बड़ा कारण नावां का नमक उद्योग है। झील में यदि सख्ती से कार्रवाई कर सभी बोरवेल व विद्युत केबलें हटाई जाती है तो नावां का करोड़ों रुपए का नमक कारोबार बंद हो जाएगा। जो सीधे तौर पर झील से जुड़ा हुआ है। गौरतलब है कि नावां में करीब 2 हजार नमक उत्पादकों की ओर से सांभर झील के पानी से 30 हजार मेट्रिक टन नमक का उत्पादन किया जाता है। जो रिफाइनरियों पर पिसाई व आयोडीन मिलाकर शुद्ध करने के बाद मालगाडिय़ों व ट्रकों के माध्यम से दूसरे राज्यों में भिजवाया जाता है।
एनजीटी से पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी झील सरंक्षण को लेकर आदेश दिए जा चुके है। जिस पर पिछली सरकार कांग्रेस सरकार ने प्रयास भी किया। सरकार के आदेशों पर प्रशासनिक अधिकारी दल बल के साथ झील में कार्रवाई के लिए पहुंचे।लेकिन नमक उद्यमियों के विरोध और बाद में सरकार के हस्तक्षेप से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी और दल को बैरंग ही लौटना पड़ा।
अब फिर से शुरु हुई कार्रवाई एनजीटी के आदेशों की अनुपालना प्रशासनिक टीम में तहसीलदार ओमप्रकाश शर्मा, सांभर साल्ट लिमिटेड के डी डी मीना, मुख्य प्रबंधक खिलसिंह, इन्द्रसिंह मीणा, विद्युत निगम के कर्मचारी, नगरपालिका की टीम एवं पुलिस की टीम झील क्षेत्र में पहुंची। जहां करीब एक दर्जन ट्यूबवैल नष्ट किए गए और विद्युत केबलें, पाइप, मोटरें जब्त की गई।
एसडीएम के आदेशों पर सांभर झील में अवैध नलकूप, विद्युत केबलें हटाने की कार्रवाई शुरु की गई है। यह कार्रवाई आगामी दिनों में भी जारी रहेगी।
ओमप्रकाश शर्मा
तहसीलदार, नावां