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कुचामन को रास नहीं आई अलसी की खेती

locationकुचामन शहरPublished: Dec 29, 2018 03:54:05 pm

Submitted by:

Kamlesh Kumar Meena

पिछली बार से 8 हैक्टेयर पर सिमटा रकबा, मुफ्त में वितरित किए थे किट

agriculture land

kuchaman

कमलेश मीना
कुचामनसिटी. कुचामन क्षेत्र को अलसी की खेती रास नहीं आई। जी हां यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि पिछली वर्ष के आंकड़ों से यदि तुलना करें तो यह स्थिति सामने आ रही है। जबकि कृषि विभाग ने कुचामन क्षेत्र में अलसी की पैदावार बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष मुफ्त में अलसी के बीज के मिनिकिट भी वितरित किए थे। जानकारी के अनुसार कुचामन क्षेत्र में अलसी का उत्पादन बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष कृषि विभाग ने अपने स्तर पर पहल की थी। इस पहल को किसानों ने भी सराहा था। पहल के तहत कृषि विभाग ने परिवार की मुखिया को अलसी के मिनिकिट वितरित किए थे। ये मिनिकिट आजाद किस्म के वितरित किए गए थे। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष कुचामन क्षेत्र में 115 हैक्टेयर क्षेत्र में अलसी की फसल बुआई की गई थी। जबकि लक्ष्य सिर्फ 30 हैक्टेयर निर्धारित किया गया था। विभाग की रुचि के कारण किसानों ने भी अलसी की फसल को लेकर रुचि दिखाई। लेकिन बाद में किसानों ने कृषि उपज मंडी में अपनी उपज को बेचना चाहा लेकिन मंडी में किसान अपनी उपज को बेच तक नहीं पाए। सूत्रों के अनुसार मंडी प्रशासन ने अलसी को खरीदने के लिए हाथ खड़े कर दिए। साथ ही तर्क दिया कि इतने कम माल को बाहर ले जाने में परेशानी आती है। ऐसे में माल को नहीं खरीदा जा सकता। बाद में किसानों को निराशा हाथ लगी और इस बार अलसी की फसल को लेकर रुचि नहीं दिखाई। इस वर्ष भी २०० हैक्टेयर क्षेत्र में अलसी की फसल बोने के लिए लक्ष्य तय किया था। लेकिन किसानों ने न के बराबर फसल बोने में रुचि दिखाई। नतीजन अलसी का रकबा सिर्फ 8 हैक्टेयर पर सिमट गया। गौरतलब है कि अलसी की फसल में एक हैक्टेयर क्षेत्र में 40 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है। पिछले वर्ष जिले में पहली बार अलसी की फसल लहालहाने का सपना देखा था। कुछ हद तक सपना साकार भी हुआ, लेकिन पूरे पहल को पूरे पंख नहीं लग पाए। वर्तमान में कुचामन क्षेत्र में जलस्तर काफी गहरा गया है। इससे पानी की फसलों के उत्पादन में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
इनका कहना है
कुचामन क्षेत्र में इस बार अलसी का रकबा न के बराबर रहा है। पिछली बार मुफ्त में अलसी के बीज के मिनिकिट वितरित किए थे। इससे कई किसानों ने अलसी की फसल को लेकर रुचि दिखाई थी।
– शिशुपाल कांसोटिया, कृषि अधिकारी (फसल), सहायक निदेशक कार्यालय, कृषि विभाग, कुचामनसिटी
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