एएनएम से करवाना पड़ता है वैरिफाई
आशा सहयोगिनियों को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जितनी राशि मिलती है। उससे ज्यादा उन्हें चक्कर काटने पड़ते हैं। इससे पहले उन्हें गर्भधात्रियों से आवश्यक दस्तावेज जुटाने पड़ते हैं। इसके बाद उन कागजों को एएनएम से वैरिफाई करवाना पड़ता है। इसके बाद पीएचसी पर अपना क्लेम फॉर्म जमा करवाना पड़ता है। बाद में वहां से फॉर्म ऑनलाइन होने के बाद राशि आशाओं के खाते में स्थानांतरित की जाती है, लेकिन अधिकतर आशाओं को यह राशि पूरी नहीं मिल पाती। जबकि पूरे माह उन्हें काफी भागदौड़ करनी पड़ती है।
आशा सहयोगिनियों को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जितनी राशि मिलती है। उससे ज्यादा उन्हें चक्कर काटने पड़ते हैं। इससे पहले उन्हें गर्भधात्रियों से आवश्यक दस्तावेज जुटाने पड़ते हैं। इसके बाद उन कागजों को एएनएम से वैरिफाई करवाना पड़ता है। इसके बाद पीएचसी पर अपना क्लेम फॉर्म जमा करवाना पड़ता है। बाद में वहां से फॉर्म ऑनलाइन होने के बाद राशि आशाओं के खाते में स्थानांतरित की जाती है, लेकिन अधिकतर आशाओं को यह राशि पूरी नहीं मिल पाती। जबकि पूरे माह उन्हें काफी भागदौड़ करनी पड़ती है।