कुचामनसिटी. एक तरफ बारिश के चलते मौसम खुशनुमा हुआ है तो दूसरी तरफ वायरल बीमारियों के प्रकोप की आशंका शुरु हो गई है। वायरल बुखार बारिश के मौसम में होने वाली प्रमुख समस्या है।
पत्रिका एक्सपर्ट व्यू वायरल इंफेक्शन के चलते सर्दी-जुकाम, खांसी, हल्का बुखार, हाथ पैरो व सिर में दर्द सहित अन्य बीमारियां हो जाती है। चिकित्सकों के अनुसार असामान्य तरीके से बारिश मे भीगने, ठंडी हवा से, तापमान परिवर्तन, नींद पूरी न होने सहित अन्य कारण से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कुछ कमजोर हो जाता है। जिसके बाद हवा में फैले वायरस या दूषित और अशुद्ध खाद्य पदार्थ का सेवन करने से खाने पीने के सामान आदि के कारण वायरल बुखार हो सकता है। मौसम परिवर्तन के समय थौड़ी सी सावधानी के बाद वायरल रोग की चपेट में आने से बचा जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार खान-पान व रहन-सहन में सावधानी रखे तो वायरल रोग से बचा जा सकता है। वायरल रोग व पहचान- जानकारी के अनुसार थोड़ी सी अनदेखी या लापरवाही के बाद मौसम परिवर्तन के समय वायरल रोग हो सकता है। वायरल की चपेट में आने से तुरन्त चिकित्सक की सलाह पर उपचार लेना चाहिए। डॉ. रघुवीरसिंह रत्नू ने बताया कि चढ़ते-उतरते तापमान के कारण सर्दी-जुकाम हो सकता है। खासतौर पर बच्चे इससे जल्द प्रभावित होते है। फ्लू व बुखार की शुरूआत अधिकतर गले में खराश, सिरदर्द, मांसपेशियों में सूजन व दर्द से होती है। दूषित भोजन व पानी का सेवन करने से हैजा हो सकता है। उल्टी आना, मुंह सूखना, डीहाइड्रेशन व निम्न रक्तचाप होना इस बीमारी के मुख्य लक्षण है। बारिश के मौसम में जल भराव व ठहराव के कारण मच्छर पनप सकते है। जिसके बाद मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारी हो सकती है। डेंगू वायरस संक्रमित मच्छर के काटने से होने वाली घातक बीमारी है। सामान्यत: इस बीमारी में बदन व जोड़ों में दर्द, बुखार एवं शरीर पर लाल चकते बन जाते है। पीलिया भी एक वायरल रोग है। इस रोग में लीवर ठीक ढंग से काम नहीं करता है। आंखों-नाखूनों व मुत्र का रंग पीला होना व अधिक कमजोरी इस रोग के मुख्य लक्षण माने जाते है। थोड़ी सी सावधानी से बचा जा सकता है वायरल की चपेट में आने से- राजकीय चिकित्सालय कुचामन के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. रघुवीरसिंह रत्नू ने बताया कि मौसम परिवर्तन के समय थोड़ी सी सावधानी रखे तो वायरल रोग की चपेट में आने से बचा जा सकता है। बारिश के मौसम में साफ.-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। घर सहित आसपास के स्थलों पर प्रयास करे कि गंदा पानी जमा नहीं हो। ऐसे स्थान पर मच्छर मारने वाली दवा का छिडक़ाव किया जाना चाहिए। जहां तक संभव हो ठंडे भोजन का सेवन न करे। पानी को उबालकर व अधिक से अधिक मात्रा में पीना चाहिए। बीमारी होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह व उपचार लें।