scriptबुआई का रकबा तो बढ़ा पर जीरे में ‘ब्लाइट’ का खतरा | The risk of disease in cumin | Patrika News

बुआई का रकबा तो बढ़ा पर जीरे में ‘ब्लाइट’ का खतरा

locationकुचामन शहरPublished: Feb 09, 2018 11:55:18 am

Submitted by:

Kamlesh Kumar Meena

दो दिन से छाए हुए थे बादल, आद्र्रता से हो सकता है फसल में नुकसान, कुचामन सहायक निदेशक कृषि कार्यालय क्षेत्र का मामला

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कुचामनसिटी. कुचामन सहायक निदेशक कृषि कार्यालय क्षेत्र में भले ही जीरे का रकबा पिछले साल से बढ़ गया हो, लेकिन गत दो दिन से छाए बादलों से ब्लाइट (झुलसा) रोग का खतरा उत्पन्न हो गया है। किसान कृषि विभाग कार्यालय में रोगग्रस्त जीरे की फसल के नमूने लेकर आ रहे हैं। कृषि विभाग के मुताबिक पिछले साल क्षेत्र में 1382 हैक्टेयर में जीरे की बुआई हुई थी, जो इस वर्ष लक्ष्य 2500 हैक्टेयर के मुकाबले 765 हैक्टेयर रह गई। वहीं पिछले दो दिन से मौसम खराब था। ऐसे में आर्द्रता के साथ जीरे में रोग प्रकोप की संभावना बढ़ सकती थी। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जीरा काफी सेंसेटिव होता है। हालांकि यदि मावठ होती है तो फसलों में फायदा भी होगा, जौ, गेहूं, चने व सरसों में आर्द्रता बढऩे से फायदा होगा। लेकिन ईसबगोल में तुलासिता रोग के कारण नुकसान ही होगा। कृषि अधिकारियों के अनुसार फसल में फूल आना शुरू होने के बाद अगर आकाश में बादल रहें तो इस रोग का लगना निश्चित हो जाता है। रोग में पौधों की पत्तियों एवं तनों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं तथा पौधों के सिरे झुके हुए नजर आने लगते हैं। यह रोग इतनी तेजी से फैलता है कि रोग के लक्षण दिखाई देते ही यदि नियंत्रण कार्य न कराया जाए तो फसल को नुकसान से बचाना मुश्किल होता है। नियंत्रण के लिए बुआईके २०-२५ दिन बाद फसल पर दो ग्राम टॉप्सिन एम या मैन्काजेब या जाइरन प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ा जा सकता है, लेकिन अब वह समय निकल गया है। गौरतलब है कि जीरे की फसल 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यदि समय पर उन्नत कृषि विधियां अपनाई जाए तो 6 से 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर जीरे की उपज प्राप्त की जा सकती है।
जैविक रूप से ये है निदान
फसल में ब्लाइट रोग से निदान के लिए जैविक तरीका भी अपनाया जा सकता है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक रोग नियंत्रण के लिए गोमूत्र दस प्रतिशत, लहसुन अर्क दो प्रतिशत, निम्बोली अर्क 2.5 प्रतिशत का मिश्रित छिडक़ाव किया जा सकता है। इसके अलावा कारबेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी या मेन्कोजेब 0.2 प्रतिशत प्रति हैक्टेयर का घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल में छिडक़ाव कर सकते हैं।
बादल छाने से आर्द्रता के चलते जीरे की फसल में रोग की संभावना बनी हुई है। किसान भी रोगग्रस्त फसल को लेकर कार्यालय आ रहे हैं। यदि थोड़ी सावधानी बरती जाए तो फसल को रोग से बचाया सकता है।
– शिशुपाल कांसोटिया, कृषि अधिकारी (फसल), सहायक निदेशक कृषि कार्यालय, कुचामनसिटी
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