इतने करने पड़ते हैं कार्य
प्रतिदिन दस घरों का सर्वे, गर्भवति महिलाओं की पहचान करना तथा उनका 12 सप्ताह के अंदर पंजीकरण करवाना, टीकाकरण करवाना, उनकी संपूर्ण स्वास्थ्य जांच ४ करवाना, हाइरिस्क गर्भवति महिलाओं की पहचान कर अलग से सेवा प्रदान करवाना, बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण करवाना, किशोरी बालिकाओं की पहचान कर उनको सेवाएं प्रदान करना, स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देना, एएनएम को वजन, बीपी, हिमोग्लोबिन की जांच, यूरिन टेस्ट की जानकारी उपलब्ध करवाना, समय-समय पर मौसमी बीमारियों का सर्वे करना, गांव की जनसंख्या का प्रतिवर्ष सर्वे करना, कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें सेवाएं प्रदान करवाना, योग्य दम्पत्तियों को परिवार नियोजन के प्रेरित करना, दो बच्चों में तीन साल का अंतराल रखने के लिए प्रेरित करना, गर्भवति महिलाओं के साथ संस्थागत प्रसव के प्रेरित करना तथा उनके साथ जाना, गांव में कुष्ठरोग, टीबी, मलेरिया आदि रोगों की जांच करवाकर उनका उपचार शुरू करवाना, मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पानी के गड्ढों में तेल डालना, तालाबों में गंबूसिया मछली डालना, पानी की टंकियों में टेमीपोस डलवाना, गर्भवति महिलाओं को वाहन व राशि की पहले से व्यवस्था करने के प्रेरित करना, सुरक्षित प्रसव के लिए प्रेरित करना, प्रतिमाह टीकाकरण करवाना, पीएचसी पर प्रतिमाह बैठक में जाना, माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है, जिसमें सभी हाइरिस्क गर्भवति महिलाओं को जांच के लिए भेजना, पल्सपोलियो में सहयोग करना, ग्रामीणों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करवाना, ग्राम स्वास्थ्य समितियों की बैठक करवाना आदि शामिल है। आंगनबाड़ी केन्द्र में जाना भी होता है। महिला एवं बाल विकास का काम भी करना पड़ता है।
प्रतिदिन दस घरों का सर्वे, गर्भवति महिलाओं की पहचान करना तथा उनका 12 सप्ताह के अंदर पंजीकरण करवाना, टीकाकरण करवाना, उनकी संपूर्ण स्वास्थ्य जांच ४ करवाना, हाइरिस्क गर्भवति महिलाओं की पहचान कर अलग से सेवा प्रदान करवाना, बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण करवाना, किशोरी बालिकाओं की पहचान कर उनको सेवाएं प्रदान करना, स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देना, एएनएम को वजन, बीपी, हिमोग्लोबिन की जांच, यूरिन टेस्ट की जानकारी उपलब्ध करवाना, समय-समय पर मौसमी बीमारियों का सर्वे करना, गांव की जनसंख्या का प्रतिवर्ष सर्वे करना, कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें सेवाएं प्रदान करवाना, योग्य दम्पत्तियों को परिवार नियोजन के प्रेरित करना, दो बच्चों में तीन साल का अंतराल रखने के लिए प्रेरित करना, गर्भवति महिलाओं के साथ संस्थागत प्रसव के प्रेरित करना तथा उनके साथ जाना, गांव में कुष्ठरोग, टीबी, मलेरिया आदि रोगों की जांच करवाकर उनका उपचार शुरू करवाना, मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए पानी के गड्ढों में तेल डालना, तालाबों में गंबूसिया मछली डालना, पानी की टंकियों में टेमीपोस डलवाना, गर्भवति महिलाओं को वाहन व राशि की पहले से व्यवस्था करने के प्रेरित करना, सुरक्षित प्रसव के लिए प्रेरित करना, प्रतिमाह टीकाकरण करवाना, पीएचसी पर प्रतिमाह बैठक में जाना, माह की 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है, जिसमें सभी हाइरिस्क गर्भवति महिलाओं को जांच के लिए भेजना, पल्सपोलियो में सहयोग करना, ग्रामीणों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करवाना, ग्राम स्वास्थ्य समितियों की बैठक करवाना आदि शामिल है। आंगनबाड़ी केन्द्र में जाना भी होता है। महिला एवं बाल विकास का काम भी करना पड़ता है।
मुश्किल से मिलता है चिकित्सा विभाग का पारिश्रमिक
सूत्रों के अनुसार चिकित्सा विभाग की ओर से टीकाकरण, गर्भवति महिलाओं की देखभाल के बदले कुछ पारिश्रमिक मिलता है, लेकिन इस कार्य के लिए उनको एएनएम के हस्ताक्षर करवाने पड़ते हैं। एएनएम के हस्ताक्षर के बाद भी पीएचसी से कई बार उनका पारिश्रमिक काट लिया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर कई रिपोर्टें मंगवाई जाती है। उप स्वास्थ्य केन्द्र से संबंधित अधिकांश आशा सहयोगिनियों पर ही निर्भर है।
सूत्रों के अनुसार चिकित्सा विभाग की ओर से टीकाकरण, गर्भवति महिलाओं की देखभाल के बदले कुछ पारिश्रमिक मिलता है, लेकिन इस कार्य के लिए उनको एएनएम के हस्ताक्षर करवाने पड़ते हैं। एएनएम के हस्ताक्षर के बाद भी पीएचसी से कई बार उनका पारिश्रमिक काट लिया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर कई रिपोर्टें मंगवाई जाती है। उप स्वास्थ्य केन्द्र से संबंधित अधिकांश आशा सहयोगिनियों पर ही निर्भर है।
कार्य होता है प्रभावित
आशा सहयोगिनियों को 2500 रुपए मानदेय महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से दिया जाता है। उनके ऊपर चिकित्सा विभाग के कार्यों की जिम्मेदारी होने से हमारे विभाग का कार्य भी प्रभावित होता है। प्रतिदिन दस घरों का सर्वे करने समेत जच्चा-बच्चा का वजन समेत कई कार्य उनके निर्धारित है।
– हेमा अग्रवाल, महिला पर्यवेक्षक, महिला एवं बाल विकास विभाग, कुचामनसिटी
आशा सहयोगिनियों को 2500 रुपए मानदेय महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से दिया जाता है। उनके ऊपर चिकित्सा विभाग के कार्यों की जिम्मेदारी होने से हमारे विभाग का कार्य भी प्रभावित होता है। प्रतिदिन दस घरों का सर्वे करने समेत जच्चा-बच्चा का वजन समेत कई कार्य उनके निर्धारित है।
– हेमा अग्रवाल, महिला पर्यवेक्षक, महिला एवं बाल विकास विभाग, कुचामनसिटी
इनका कहना है
आशा सहयोगिनियों को चिकित्सा विभाग का कार्य करने पर निर्धारित पारिश्रमिक मिलता है। अलग से कोई कार्य नहीं करवाया जाता। यदि निर्धारित से अलग कार्य करवाया जाता है तो इस बारे में पता करवाया जाएगा। मानदेय में बढ़ोतरी का मामला सरकार के स्तर का मामला है। – डॉ. मोतीराज चौधरी, आरसीएमएचओ, कुचामनसिटी
आशा सहयोगिनियों को चिकित्सा विभाग का कार्य करने पर निर्धारित पारिश्रमिक मिलता है। अलग से कोई कार्य नहीं करवाया जाता। यदि निर्धारित से अलग कार्य करवाया जाता है तो इस बारे में पता करवाया जाएगा। मानदेय में बढ़ोतरी का मामला सरकार के स्तर का मामला है। – डॉ. मोतीराज चौधरी, आरसीएमएचओ, कुचामनसिटी