script

बढता जा रहा कचरे का जंगल

locationकुचामन शहरPublished: Jan 11, 2020 11:36:00 am

Submitted by:

Hemant Joshi

कुचामनसिटी. स्वच्छ भारत मिशन कुचामन में फेल साबित हो रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर यूं तो लाखों रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन कचरा प्रबंधन के नाम पर कार्रवाई शून्य है। शहर में डंपिंग यार्ड हरमाह कचरे से फैलता जा रहा है।

कुचामन.  स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में भी बिगड़ जाएगी छवि...

कुचामन. स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में भी बिगड़ जाएगी छवि…


राजकीय स्टेडियम के पास कचरे का जंगल बन गया है। पालिका के सामने अब कचरे का निस्तारण बड़ी समस्या बन गई है। कचरा प्रबंधन का अभाव होने से शहर की सफाई व्यवस्था बिगड़ रही है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अकेले कुचामन शहर में प्रतिदिन 500 मेट्रिक टन कचरा एकत्रित किया जा रहा है।

फैलता जा रहा है डंपिंग यार्ड

निकाय क्षेत्र में महज कचरे को एकत्रित कर डंपिंग यार्ड में डाला जा रहा है। जहां गीले व सूखे कचरे को एकसाथ ही एकत्रित किया जा रहा है। डंपिंग यार्ड भी खुले में है, जहां चारदिवारी तक नहीं है। ऐसे में यह कचरा चहुंओर फैलता रहता है एवं आवारा पशुओं का जमघट लगा रहता है। स्टेडियम के पास स्थित पालिका का डंपिंग यार्ड अब भर गया है। जहां कचरा एवं मृत पशुओं के डालने से दुर्गंध का माहौल होने के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ गया है।
नहीं है कचरा प्रबंधन

शहर में जगह-जगह गीले-सूखे कचरे के लिए अलग-अलग कचरा पात्र है, लेकिन कचरा संग्रहण एक साथ ही किया जा रहा है। गीला-सूखा कचरा संग्रहण के लिए अलग-अलग संसाधन तक नहीं है। जबकि पालिका को ठोस कचरा प्रबंधन के तहत कचरा निस्तारण के लिए महज कम्पोस्ट प्लांट के गड्ढे तैयार करने है जिससे खाद बनाई जा सकती है। लेकिन यह कार्य भी पालिका की ओर से शुरु नहीं किया गया। ऐसे में अब पालिका के सामने कचरा निस्तारण की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।
क्यों नहीं है ठोस कचरा प्रबंधन

डूंगरपुर, प्रतापगढ जैसे जिला मुख्यालयों पर भी कचरे के निस्तारण के लिए कम्पोस्ट प्लांट है। जहां जिला मुख्यालय की आबादी ही 50 हजार से कम है। वहीं कुचामन की आबादी इनसे कहीं ज्यादा है। इसके बावजूद यहां कचरा प्रबंधन का अभाव है। जबकि कचरा प्रबंधन हो तो कचरे से बिजली का उत्पादन किया जा सकता है इसके अलावा भी प्लास्टिक का कचरा अलग करके उसे रिसायकिल किया जा सकता है। लेकिन पालिका की ओर से कचरा प्रबंधन के नाम पर कोई तैयारी शुरु नहीं की गई।
प्रतिमाह 15 हजार टन निकलता है कचरा

कुचामन शहरी क्षेत्र की आबादी करीब एक लाख पहुंच चुकी है। शहर में नगरपालिका की ओर से कचरा उठाने के लिए 14 टैम्पों, 2 छकड़ी व 5 ट्रेक्टर लगाए गए है। सभी संसाधन प्र्रतिदिन तीन से चार चक्कर लगाकर शहर का कचरा उठा रहे है। शहर में सफाई व्यवस्था के लिए 2 सौ से अधिक कर्मचारी व ठेकाकार्मिक सफाई व्यवस्था में जुटे हुए है। लेकिन इन सबके बावजूद अब नगरपालिका स्वच्छता में फेल साबित हो रही है। कचरा निस्तारण नहीं होने के चलते अब पालिका के सामने कचरा एकत्रित करने के लिए स्थान तक नहीं है।
लाखों खर्च फिर भी नतीजा सिफर

स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान अकेले कुचामन में पालिका ने लाखों रुपए खर्च कर दिए। जगह-जगह वॉल पेंटिंग करवाने के साथ ही फ्लैक्स बैनर लगवाए गए। गीला व सूखा कचरा संग्रहण के लिए अलग-अलग कचरा पात्र लगवाए गए। घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 14 टैम्पों भी खरीदे गए। लेकिन कचरा निस्तारण के लिए के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। ऐसे में ऐसे में सरकार की गीले कचरे से खाद व बिजली बनाने और सूखे कचरे को रिसाइकिल करने की योजना फ्लॉप हो रही है।
2020 की कार्ययोजना

निकाय विभाग के अनुसार सभी निकायों में ठोस कचरा प्रबंधन के तहत गीले व सूखे कचरे का निस्तारण करने के लिए प्लांट लगाए जाने प्रस्तावित है। जिसके चलते सरकार के स्तर पर तैयारी शुरु हुए भी एक साल से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन कुचामन नगरपालिका क्षेत्र की बड़ी नगरपालिकाओं में शुमार हैं जहां शीघ्र ही ठोस कचरा प्रबंधन अपनाया जाना अनिवार्य हो गया है।
इनका कहना-
पालिका की ओर से शीघ्र ही कचरा निस्तारण के लिए प्रयास किया जाएगा। डंपिंग यार्ड की चाहरदिवारी भी प्रस्तावित है, जिससे कचरा फैले नहीं और एक ही स्थान पर कचरे का निस्तारण किया जा सके।
श्रवणराम चौधरी
अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका

ट्रेंडिंग वीडियो