सुनवाई के दौरान ही न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल व राजीव मिश्र की बेंच ने जनपद पुलिस के रवैये पर सख्त नाराजगी जताते हुए पूछा कि जनपद में कितने मुकदमे लंबित हैं, इस पर एसपी ने 1200 विवेचनाओं के लंबित होने की जानकारी दी।
इस मामले की हो रही सुनवाई कुशीनगर जिला मुख्यालय से सटे गांव बेलवा मिश्र के हरिशंकर दीक्षित की पुत्री मंजू (21) की शादी 17 फरवरी 2014 को भिसवा सरकारी के रहने वाले मृत्युंजय तिवारी से हुई थी। आरोप है कि 23 सितंबर 2016 की रात 10 बजे ससुराल के लोगों ने मंजू की हत्या कर शव गायब कर दिया। मंजू का मोबाइल बंद मिलने पर पिता हरिशंकर ने जब पूछा तो बेटी के ससुराल वालों ने उन्हें गुमराह किया। दीक्षित ने पडरौना कोतवाली में तहरीर देकर दहेज के लिए बेटी की हत्या किए जाने का आरोप लगाया। केस दर्ज न होने पर सीजेएम न्यायालय में 156(3) के तहत वाद दाखिल किया। 25 नवंबर 2016 को सीजेएम ने कोतवाली पुलिस को दहेज हत्या का केस दर्ज करने का आदेश दिया। केस दर्ज कर बाद विवेचना तत्कालीन सीओ ने मंजू का शव बरामद न होने तथा पति मृत्युंजय तिवारी द्वारा मंजू के भाग जाने का आरोप लगाने पर दहेज उत्पीड़न की धारा में आरोप-पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया।
निष्पक्ष जांच के लिए अपील हरिशंकर दीक्षित की आपत्ति पर सीजेएम ने सात जुलाई 2018 को मामले में पुनर्विवेचना का आदेश दिया। आरोप है कि तब से मुकदमे की जांच ठंडे बस्ते में है। पुलिस के इस रवैये के बाद 22 अगस्त 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर पिता हरिशंकर ने सीबीआई जांच की मांग की थी। सुधीर अग्रवाल व राजीव मिश्र की खंडपीठ इसकी सुनवाई कर रही है।
बुलाने पर नहीं हाजिर हुए सीओ पडरौना कोतवाली में दर्ज इस केस के सीओ सदर विवेचक हैं। मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जांच अधिकारी सीओ सदर को नोटिस जारी कर सुनवाई की तिथि 27 नवंबर 2019 तथा 16 दिसंबर 2019 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया था। पर सीओ कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। छह जनवरी 2020 को भी सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी सीओ सदर के उपस्थित न होने पर कोर्ट ने उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करते हुए 27 जनवरी 2020 को उपस्थित करने का आदेश दिया।
वारंट जारी होने के बाद शनिवार को सीओ सदर हिरासत में लिये गए। एसपी विनोद कुमार मिश्र ने उन्हें सीजेएम न्यायालय में पेश किया। जहां न्यायालय ने सीओ को 27 जनवरी की सुबह तक ट्रांजिट रिमांड पर दिया था। फिर पुलिस की एक टीम लेकर उनको हाई कोर्ट रवाना हुई। यहां कोर्ट के समक्ष पेश किए गए। बेंच ने नाराजगी जताई लेकिन विनती के बाद कोर्ट ने सीओ सदर पर कार्रवाई नहीं किया।