घटना के बाद मुख्यमंत्री कुशीनगर पहुंचे थे और उन्होंने जांच काआदेश दिया था। इसके बाद जांच शुरू हुई। पर इस जांच से बचने के लिये स्कूलों ने जुगाड़ खोज लिया। दुदही क्षेत्र में निजी विद्यालय के नाम को शॉर्ट करके मदरसे के नाम का बोर्ड लगाये जाने का मामला सामने आया है। बुधवार को बीआरसी विद्या सिंह, एनपीआरसी राजेश प्रसाद जब आदर्श पब्लिक स्कूल कतौरा जांच करने पहुंचे तो भौंचक्के रह गए। पूर्व में संचालित विद्यालय के नाम पर पुताई कर उसकी जगह शॉर्ट फॉर्म में मदरसे का नाम लिख दिया गया था। नतीजतन टीम वहां पहुंचकर भी जांच नहीं कर सकी। इसी तरह शिक्षा निकेतन की जांच करने पहुंची टीम को भी यहां मदरसे का शॉर्ट नेम लिखा हुआ मिला। एबीआरसी विद्या सिंह के नेतृत्व में जांच कर रही टीम को जब इस खेल का पता चला तो उन्होंने मदरसा की मान्यता और सभी अभिलेखों के साथ तीन दिन के अन्दर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। उनका कहना है कि पिछले वर्ष इन विद्यालयों को बाकायदा नोटिस जारी की गयी थी। पर अब इनके संचालकों ने गुमराह करने के लिये विद्यालय को मदरसे में तब्दील कर दिया है।
बेसिक शिक्षा विभाग के सूत्रों कीमानें तो जिले भर में करीब एक हजार अमान्य विद्यालय कुशीनगर में संचालिमत हो रहे हें। अकेले दुदही विकास खंड में ही तकरीबन 100 गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालित हो रहे हैं। यही हाल मदरसों का भी है। अल्पसंख्यक विभाग की मेहरबानी से बड़ी तादाद में मदरसे झोले में ही चल रहे हैं। पूर्व जिलाधिकारी आंद्रा वामसी की ओर से कराई गई जांच में इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है शिक्षा विभाग की मेहरबानी से संचालित अवैध विद्यालयों द्वारा खटारा वाहन से बच्चों को जानवरों की तरह ठूंसकर ढोने, मनमानी फीस वसूलने, कमीशन वाली मनचाही किताब कोर्स में शामिल करने जैसी तमाम शिकायतें किसी से छिपी नहीं है।