कुशीनगर पुलिस के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अभिशप्त , किसी भी थाने पर नहीं मनाई जाती
कुशीनगरPublished: Aug 26, 2016 08:23:00 am
डकौतों से मुठभेड़ में दो इंस्पेक्टर सहित 7 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, तभी से जन्माष्टमी को कुशीनगर की पुलिस अभिशप्त मानती है
police not celebrate janmashtami
कुशीनगर. भगवान कृष्ण का जम्न बंदी गृह में होने के कारण प्रदेश के थानों में कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन कुशीनगर जनपद के थानों के लिये जन्माष्टमी अभिशप्त मानी जाती है। करीब 21 साल से किसी भी थाने पर जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती है। सबब यह कि लगभग 21 वर्ष पूर्व अष्टमी की काली रात को कुबेरस्थान थाने के पचरूखिया घाट पर जंगल पार्टी के डकौतों से मुठभेड़ में दो इंस्पेक्टर सहित 7 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। तभी से जन्माष्टमी को कुशीनगर की पुलिस मनहूस मानती है । एक साथ सात सात साथियों के खोने का दर्द आज भी जनपद पुलिस को सालती रहती है।
मालूम रहे कि देवरिया जनपद से अलग होकर कुशीनगर जनपद के अस्तित्व में आने के बाद सरकारी महकमों में जश्न का माहौल था। 1994 में पुलिस महकमा पहली जन्माष्टमी पडरौना कोतवाली में बड़े धूमधाम से मनाने में लगा हुआ था । जहां पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ ही सभी थानों के थानेदार और पुलिस कर्मी मौजूद थे। पुलिस को कुबेरस्थान थाने के पचरूखिया घाट के पास उस समय आतंक पर्याय बन चुके जंगल पार्टी के आधा दर्जन डकैतों के ठहरने और किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए योजना बनाने की सूचना मिली।
इस सूचना के आधार पर कुबेरस्थान थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेन्द्र यादव और उस समय के इंकाउन्टर स्पेश्लिस्ट तरयासुजान थाने के एसओ अनिल पाण्डेय आठ पुलिस के जवानों के साथ पचरूखिया घाट के लिये रवाना हो गये । उस समय नदी को पार करने के लिये कोई पुल नहीं था नाव ही एक मात्र साधन था। एक प्राईवेट नाव की सहायता से बांसी नदी को पार कर डकैतों के छिपने की जगह पर पुलिस पहुंची तो डकैत वहां से फरार हो कर नदी के किनारे छिप गये थे।
अपराधियों के नहीं मिलने पर पुलिस टीम फिर से नाव के सहारे नदी पार कर वापस लौट रही थी । नाव जैसे ही नदी की बीच धारा में पहुंची तभी डकैतों ने पुलिस पर अंधाधुध फायर झोंक दिया। पुलिस ने जवाबी फायरिंग किया लेकिन इस बीच नाविक को गोली लगने से नाव बेकाबू हो गयी और नदीं में पलट गयी। नाव पर सवार सभी 11 लोग नदी में डूबने लगे । डूब रहे लोगों में से तीन पुलिसकर्मी तो तैर कर बाहर आ गये लेकिन दो इंस्पेक्टर,सहित 7 पुलिसकर्मी और नाविक शहीद हो गये । इस घटना के बाद कुशीनगर पुलिस के लिये जन्माष्टमी अभिशप्त हो गयी । इस दर्दनाक घटना की कसक आज भी पुलिसकर्मियों के जेहन में है जिसके कारण किसी थाने और पुलिस लाइन्स में जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती है।