उन्हें विद्यालय से ही कॉपी-किताब से लगायत रबड़, पेंसिल तक खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है। यही नहीं बच्चों के माता-पिता से इनका बाजार से अधिक मूल्य भी वसूला जा रहा है और अपने बच्चों के भविष्य की खातिर अभिभावक लूटने को विवश हैं। कुशीनगर जिले में हालात यह है कि जितना बड़ा नाम, उतनी बड़ी लूट के सिद्धांत पर निजी स्कूल चल रहे हैं।
बताते चलें कि बेहतर शिक्षा के नाम पर निजी विद्यालयों में की जा रही लूट पर लगाम लगाने के लिए दो अप्रैल से शुरू हुए नए शिक्षा सत्र के साथ ही प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों के लिए आदेश जारी किया है। जिसके मुताबिक विद्यालय अपने कैम्पस में किताबें नहीं बेच सकते और ना ही किसी खास दुकान से किताबें खरीदने के लिये अभिभावकों को बाध्य कर सकते हैं। स्कूलों में
एनसीईआरटी की किताबें ही पढाई जानी है। निजी विद्यालयों को अपने फी स्ट्रक्चर का भी
ध्यान रखना होगा।