सोनभद्र नरसंहार पर सपा ने की बड़ी मांग, आदिवासी जज से न्यायिक जांच की मांग
कुछ फीट जमीन ने नरसंहार का रूप ले लिया साल 2012 में अगस्त महीना था। पडरौना शहर के इंदिरानगर के रहने वाले आनंद पटेल के सिर पर अचानक से खून सवार हो गया। मामला कुछ फीट की जमीन का था। इस जमीन को लेकर इस परिवार का झगड़ा उसके पड़ोसी पूर्व डीजीसी बेचन प्रसाद से चला आ रहा था। कानूनी पचड़े में न तो जमीन का फैसला हो पा रहा था न ही अधूरा निर्माण कार्य पूरा हो रहा था। मोहल्ले के लोगों के अनुसार जमीन के विवाद के चलते आनंद इस कदर उलझा था कि उसके जीविकोपार्जन पर भी संकट मंडराने लगा था लेकिन कोर्ट-कचहरी दौड़ लगाना खत्म नहीं हो रहा था। फिर एक दिन उसने एक खौफनाक निर्णय ले लिया।एम्स का निर्माण कर रहे दिहाड़ी मजदूर काम छोड़ भाग रहे
क्या हुआ था सात साल पहले 20 अगस्त की सुबह प्रत्यक्षदर्शी उस काले दिन को याद करते हुए बताते हैं कि 20 अगस्त को ईद का दिन था। शहर में खुशियों का माहौल था। लेकिन अचानक से पूरे शहर का मिजाज गम और गुस्से में तब्दील हो गया। हुआ यह कि सुबह आनंद पटेल अचानक घर से गुस्से में निकला। उसके हाथ में कुल्हाड़ी देख पत्नी घबराई। उसने उसे रोकना चाहा तो पहले उसे मारा। छोटी बेटी रोकनी चाही तो उसका भी गला दबा दिया। फिर सीधे पड़ोसी पूर्व डीजीसी बेचन प्रसाद के घर में घुसा। पूर्व डीजीसी, उनके बेटे विजय, बेटी पूनम पर हमला बोल दिया। बारी बारी से सबको वहीं ढेर कर दिया। संयोग से पूर्व डीजीसी का छोटा बेटा घर पर नहीं था।एक साथ इतने लोगों की हत्या से पूरे शहर में सनसनी मच गई। उधर, साइको किलर आनंद आराम से बाहर निकला, सड़क पर कुल्हाड़ी रखकर बैठ गया। तभी पुलिस पहुंची लेकिन कोई आगे नहीं बढ़ रहा था। हालांकि, कुछ ही देर में दो पुलिसवालों ने उसे गिरफ्तार कर लिया।