पत्रिका” के हाथ लगे वीडियों में विरासत जैसे काम को करने के लिए देवगांव के एक व्यक्ति से लेखपाल व कानूनगो सीधे-सीधे रुपये लेते व मोलभाव करते देखे जा सकते हैं। जबकि एक समय सीमा के अंदर विरासत करना खुद राजस्व कर्मियों की जिम्मेदारी है और उनके ड्यूटी में शामिल है। राजस्व कर्मियों द्वारा घूस लेने की बात जगजाहिर होने पर अब खड्डा तहसील अधिवक्ता संघ भी इन घूसखोर राजस्व कर्मियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अधिवक्ताओं की मांग है कि घूस लेने वाले दोनों राजस्व कर्मियों को निलंबित कर इनके ऊपर मुकदमा दर्ज होना चाहिए और गिरफ्तारी होनी चाहिए।
सभी को मालूम है कि भ्रष्टाचार मुक्त देश व समाज का निर्माण करना केंद्र व प्रदेश सरकार के शीर्ष एजेंडे में शामिल है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता को राहत देने के लिए सरकारी विभागों से घूसखोरी खत्म करने के लिए उतावले हैं और घूसखोरी समाप्त करने के लिए लगातार आदेश-निर्देश दे रहे हैं। सरकार ने जिले में इसके लिए प्रभारी मंत्री व प्रभारी आईएएस अधिकारी तक की नियुक्ति कर रखी है। बावजूद इसके भी खड्डा तहसील के राजस्व कर्मियों पर मुख्यमंत्री के आदेशों का कोई असर नहीं है। वो धडल्ले से मोलभाव कर काश्तकारों से घूस में रुपये ले रहे हैं। धन न देने पर काम लटका दिया जाता है। यहां यह बता दे खेतों की पैमाईश, हद बंदी से लेकर खेतों संबंधी विवादों को निपटाने की पहली जिम्मेदारी कानूनगो व लेखपाल की होती है। कानूनगो व लेखपाल द्वारा खूलेआम घूस लेने का ताजातरीन मामला खड्डा तहसील के देवगांव के एक किसान से जुड़ा है।
जैनुद्दीन नाम के युवक के पिता की उस्मान की मौत वर्षों पहले हो चुकी है। आरोप है कि जब राजस्व अभिलेखों में पिता के नाम जगह अपना व अपने भाई का नाम दर्ज कराने के लिए जब जैनुद्दीन ने संपर्क किया तो ग्रामसभा देवगांव के लेखपाल से संपर्क किया तो सीधे-सीधे लेखापाल द्वारा 1000 रुपये की मांग रख दी गई। मोलभाव के बाद 750 रुपये में बात तय हो गई। जैनुद्दीन ने रुपये भी दे दिए। “पत्रिका” के पास मौजूद वीडियो में लेखपाल को खुलेआम मोलभाव करते देखा जा सकता है।
मोलभाव के बाद वीडियो में लेखपाल व कानूनगो धडल्ले से रुपये लेते हुए साफ-साफ नजर आ रहे हैं। रुपये लेने के बाद भी इन दोनों राजस्व कर्मियों ने जैनुद्दीन का काम नहीं किया और उससे और रुपये ऐंठने के लिए दौडाते रहे। 15-20 दिन दौड़ने के बाद भी काम नहीं होने पर जैनुद्दीन ने जब ऐतराज जताया तो इन दोनों राजस्व कर्मियों ने पुलिस बुला ली और पीटाई करा कर खड्डा थाने पर भेजवा दिया। पुलिस ने घंटों तक उसे थाने पर बैठाए रहा और अंत में एक सादे कागज पर हस्ताक्षर कराने के बाद ही जैनुद्दीन को छोड़ा।
एसडीएम खड्डा पूरे मामले की जांच कराने की बात कह रहे हैं लेकिन मामला जगजाहिर होने पर कुशीनगर के डीएम आंद्रा वामसी ने लेखपाल को निलंबित कर दिया है। परंतु खड्डा तहसील के अधिवक्ता इस कार्रवाई को मामले पर पर्दा डालने जैसा मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह सीधे-सीधे अपराधिक मामला है। लेखपाल के साथ ही कानूनगो को भी निलंबित होना चाहिए। दोनों राजस्व कर्मियों पर केस दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी भी होनी चाहिए। बहरहाल इन मांगों को लेकर अधिवक्ता संघ आंदोलित है। वकीलों का कहना है कि घूस लेते सार्वजनिक हुए वीडिओ जैसे घूसखोरी की घटनाएं खड्डा तहसील में रोज होती हैं। बगैर रुपये दिए यहां कोई काम नहीं होता है।
by AK MALL