कुशीनगर

खनन का खेल: रेत पर उग रही माफियाओं की पौध

खनन माफियाओं के सामने शासन बेबस, ठेंगे पर फरमान, बालू का अवैध खनन एवं परिवहन रोकने में जिम्मेदारों को दिलचस्पी नहीं

कुशीनगरApr 17, 2018 / 09:52 pm

अभिषेक श्रीवास्तव

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एके मल्ल की रिपोर्ट…
कुशीनगर. जिला प्रशासन की शह पर चल रहा बालू के अवैध खनन का कारोबार शासन के लिए भी सिरदर्द बन गया है। सफेदपोशों के संरक्षण में चल रहे खनन के कार्य में संलिप्त माफियाओं के सामने शासन भी बेबस नजर आ रहा है। अवैध खनन एवं परिवहन पर नकेल कसने संबंधी नौ माह पूर्व तत्कालीन प्रमुख सचिव अरविंद कुमार के फरमान को भी अधिकारियों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। परिवहन को रोकने में कुशीनगर के अधिकारियों को कोई दिलचस्पी नहीं। जिले में बालू की रेत से माफियाओं की नई जमात पनप रही है, जो कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन जाएगी।
जिले में फल-फूल रहे खनन के अवैध कारोबार से सभी अवगत हैं। तहसील से लेकर प्रदेश स्तर तक के अधिकारी और नेता खनन के खेल से अवगत हैं। बालू के अवैध दोहन को संज्ञान में लेकर सरकार ने लगभग नौ माह पहले इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को आदेश दिया था। 24 जुलाई 2017 को तत्कालीन प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर अवैध खनन व परिवहन रोकने को कहा था। पत्र में पड़ोसी राज्य से अवैध खनन से आ रहे बालू को भी रोकने की बात कही गई थी। अवैध कारोबार को रोकने के लिए शासन से पत्र आए नौ माह व्यतीत हो गए, लेकिन जिले के जिम्मेदारों ने इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किया। प्रमुख सचिव द्वारा भेजे गए पत्र में अवैध खनन व परिवहन रोकने के लिए स्थापित चेकपोस्टों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने तथा उसके फूटेज की सतत मॉनिटरिंग करने का भी निर्देश दिया गया था। यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो खैरा तस्करी की तरह सफेदपोशों की नई जमात पैदा हो जाएगी, जो कानून- व्यवस्था के लिए समस्या बन सकती है।

नहीं है एक भी चेकपोस्ट

प्रमुख सचिव ने पत्र में चेकपोस्ट पर सीसीटीवी लगवाने का निर्देश तो दे दिया, लेकिन स्थिति यह है कि जिले में अभी तक चेकपोस्ट ही स्थापित नहीं किए गए। जिले में एक भी चेकपोस्ट है ही नहीं, ऐसे में सीसीटीवी कैमरे लगवाने की बात करना ही बेमानी है। पत्र में अवैध खनन व परिवहन में संलिप्त लोगों को चिह्नित करने तथा उनपर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया था और स्पष्ट किया गया था कि चेकपोस्ट पर तैनात कर्मचारियों पर भी नजर रखी जाए। संलिप्तता उजागर होने पर कड़ी कार्रवाई हो और अवैध खनन एवं परिवहन रोकने के लिए सचल दस्ते बनाए जाएं। जिले में ऐसा कुछ भी होता नजर नहीं आ रहा।

…तो बिगड़ जाएंगे हालात!

लगभग एक दशक पहले बड़ी गंडक के किनारे स्थित वन्य क्षेत्रों में पाई जाने वाली खैरा की तस्करी धड़ल्ले से हुआ करती थी। इसका परिणाम यह हुआ था कि जिले में माफियाओं की एक जमात तैयार हो गई थी। जिनका सीधा संबंध जंगल पार्टी के दस्युओं व बिहार प्रांत के अपराधियों से जुड़ गया था। नतीजतन जिले में हमेशा कानून-व्यवस्था पर संकट खड़ा होता रहता था। बालू के अवैध खनन एवं परिवहन के कारोबार पर लगाम नहीं लगा, तब तैयार हो रही माफियाओं की नई जमात के कारण खैरा की तस्करी के समय जैसा महौल बनने में देर नहीं लगेगी। ऐसे में हालात बहुत खराब हो जाएंगे।

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