कुशीनगर जिले के खड्डा के जखिनिया गांव के अहमद अली की पुत्री फातिमा खातून (25) की शादी नेबुआ नौरगियां के शोभाछपरा गांव के अब्दुल रहीम के पुत्र तराबुद्दीन के साथ हुई थी। बेटी की शादी में गरीब पिता ने काफी परेशानी में दान-दहेज का इंतजाम किया। पिता ने सोचा कि बेटी का होने वाला पति विदेश कमाता है, वह सुखी जीवन व्यतीत करेगी। पीड़ित पक्ष के अनुसार शादी के चार माह बाद ही फातिमा का पति तराबुद्दी सऊदी अरब चला गया।
फातिमा के अनुसार उसका पति जब विदेश से आता तो उससे दूर दूर रहने की कोशिश करता। उसे प्रताड़ित करता। फातिमा बताती कि पति किसी झारखंड की महिला का फोटो दिखाते और उससे शादी की बात करते। पूरा घर शादी के कुछ ही महीना बाद उसे प्रताड़ित करने लगा। फातिमा बताती कि वह सबकुछ सहकर ससुराल में रह रही थी।
एक अगस्त को तराबुद्दीन का फोन घर पर आया। ससुर अब्दुल रहीम ने फातिमा से तराबुद्दी से बात कराई। जैसे ही फातिमा ने काॅल रिसीव किया तो तराबुद्दीन ने उसे तलाक दे दिया। तलाक तलाक तलाक कहने के बाद उसने कहा कि अब हम दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं है।
पति के तलाक देने से परेशान फातिमा ने मायके फोन किया। अगले दिन उसके मां-पिता बेटी के ससुराल पहुंचे। पंचायत बैठी। पंचों ने भी तलाक को सही ठहराते हुए फातिमा को डेढ़ लाख रुपये के दो चेक दिखाए। स्टांप पेपर पर अंगूठा लगवा दिया और रिश्ता खत्म करने का ऐलान हो गया। हैरानी की बात ये है कि अब भी बेटियों के लिए देश की सबसे बड़ी पंचायत द्वारा कानून बनाने के बाद भी न्याय पान आसान नहीं है।