सरकारी प्रयासों में सहयोग कर जिले की प्राथमिक शिक्षा स्तर को सुधारने की बजाय बेसिक शिक्षा अधिकारी ने परीक्षा के तौर- तरीके को ही तार- तार कर दिया है। अध्यापकों द्वारा प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों की जिस तरह से परीक्षा ली जा रही उसे देखकर कोई हैरत में पड़ जाएगा। जिले के बेसिक शिक्षा विभाग की देखरेख में बच्चों की ली जा रही अर्ध वार्षिक परीक्षा का सीधा मतलब है नकल करके लिखना।
जी हां , चौकिए नहीं। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों के छात्र- छात्राओं की अर्ध वार्षिक परीक्षा मंगलवार से शुरू हो गई है। नियमानुसार मंगलवार से पहले जिले के सभी सरकारी प्राथमिक विद्यालयों पर पेपर पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन एेसा नहीं हुआ. अधिकरत विद्यालयों में पेपर नहीं पहुंचा है।
पेपर विद्यालयों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला बेसिक शिक्षा के कार्यालय की थी। यहां तक कि जिला बेसिक शिक्षा कार्यालय के बगल मे स्थित विद्यालय के शिक्षक तक पेपर के लिए मंगलवार को परेशान दिखे।
स्थिति यह है कि स्कूलों के अध्यापक ह्वाटऐप पर पेपर मंगाकर ब्लैक बोर्ड पर लिख रहे है और बच्चे ब्लैक बोर्ड से प्रश्न उतार कर परीक्षा देने की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। बच्चे एक दुसरे की कॉपियों को देख- देखकर किसी तरह से प्रश्नों को हल कर रहे है। कुछ स्कूलों पर वर्ष 2015 के पेपर से ही परीक्षा ली जा रही है।
इस बारे में ज़िले के बेसिक शिक्षाधिकारी का कहना है कि विद्यालयों पर पेपर की भेजने की जिम्मेदारी एनपीआरसी को दी गई है। अगर विद्यालयों पर पेपर नहीं पहुंचा है तो इस कि जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी. वहीं कप्तानगंज ब्लॉक के एनपीआरसी पचार का कहना है कि मैं नहीं जानता कैसे पेपर आएगा। बीएसए कार्यालय के बाबू पेपर पहुंचाते है।