प्रमाणपत्र में गलत जानकारी बता दें कि 22 अप्रैल को लालापुरवा निवासी बबलू की पत्नी पप्पी देवी ने धौरहरा के सरकारी अस्पताल में एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था। सीएचसी अधीक्षक डॉ. सुभाष वर्मा के मुताबिक प्रसव के दौरान मां-बेटी दोनों स्वस्थ थीं। उन्हें रात तीन बजे उसके पति व परिवारीजन डिस्चार्ज करवा कर ले गए थे। लेकिन इसके दो घंटे बाद सुबह पांच बजे पप्पी के ससुरालीजनों ने उसके पिता खमरिया निवासी श्रीकृष्ण को पप्पी की मौत और मृत बेटी पैदा होने की सूचना फोन पर दी थी। मामला 23 अप्रैल को पुलिस तक पहुंचा और वहां भी पप्पी के पति बबलू और उसके परिवारीजनों ने मृत बेटी के जन्म लेने का बयान दिया। इसके कुछ देर बाद जब अस्पताल के रिकार्ड और अधीक्षक के बयान से यह प्रमाणित हुआ कि पप्पी ने मृत नहीं एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था, तब भी कोतवाली पुलिस ने नवजात का शव तलाश करने की जहमत नहीं उठाई।
ऐसा तब था जब पप्पी के ससुराल वालों का झूठ प्रमाणित हो चुका था और नवजात को वह लोग रात में ही दफना देने की बात कह रहे थे। इस विषय में पूछे जाने पर तात्कालिक कोतवाल हरिओम श्रीवास्तव ने खुद को प्रकरण से अनजान कहकर पल्ला झाड़ लिया था। इसी दिन सीओ अभिषेक प्रताप ने कहा था कि जांच करवा रहे हैं और अपराध की दशा में कार्रवाई होगी, लेकिन वह जांच आज तक पूरी नहीं हो पाई। मृतका पप्पी के पिता श्रीकेशन ने जिलाधिकारी को प्रार्थना-पत्र देकर न्याय की मांग की थी। जिस पर डीएम साहब ने पांच माह बाद मृत बच्ची का शव खोदवाकर बिसरा सुरक्षित करवाने के आदेश दिए थे, जिसमें पुलिस ने डीएम के आदेशों का पालन करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। पुलिस की इस कारस्तानी से परेशान पीड़ित श्रीकेशन सोमवार को अपने पूरे परिवार के साथ डीएम कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गया। हालांकि डीएम ने पुलिस अधीक्षक को कार्रवाई के निर्देश दिए है।