दरअसल, कुछ महीने पहले नेपाल सरकार ने भारतीय व्यापारियों द्वारा निर्यात की जाने वाली फल और सब्जियों पर रोक लगा दी थी। उनका कहना था कि इसमें हानिकारक तत्वों का अधिक इस्तेमाल किया जाता है, जो कि वहां के नागरिकों की सेहत के लिए ठीक नहीं है। नेपाल सरकार के इस आदेश के बाद खीरी जिले के गौरीफंटा बार्डर से लेकर बिहार-नेपाल बार्डर तक नेपाल को इन चीजों का निर्यात करने वाले व्यापारियों के हजारों ट्रकों के पहिए थम गए। वहां निर्यात की जाने वाली भारतीय फल और सब्जियों पर रोक लगा दी गई जिससे कि भारतीय व्यापारियों को लाखों का घाटा हुआ।
संसद में गूंजा मुद्दा व्यापारियों की मांग पर उनकी समस्या को देखते हुए खीरी सांसद अजय मिश्र टेनी ने इस मामले को लोकसभा के मौजूदा सत्र में सबके सामने रखा। उन्होंने इस मामले को कृषि मंत्रालय के सामने भी रखा और आग्रह किया कि भारत-नेपाल सीमा पर पलिया तहसील क्षेत्र के गौरीफंटा में अपना एक कार्यालय खोला जाए।
अजय मिश्र टेनी ने बताया कि नेपाल सरकार का यह मानना था कि भारतीय व्यापारियों द्वारा भेजी जा रही सब्जियां और फल निषिद्ध रसायनों का प्रयोग करने की वजह से उसके नागरिकों की सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इस कारण बिना इस प्रमाणपत्र के कि वे सेहत के लिए हानिकारक नहीं हैं, इनको नेपाल में प्रवेश नहीं दिया सकता। भारतीय व्यापारियों को रोज हो रहे लाखों के नुकसान को देखते हुए इस पर विचार किया गया।
साल के अंत में खुलेगा दफ्तर कृषि मंत्रालय के दफ्तर में जांच के बाद ही व्यापारियों को उनके माल के हानिरहित होने का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। इससे पहले की तरह फल और सब्जियों का निर्यात हो सकेगा और भारतीय व्यापारियों को नुकसान भी नहीं होगा। सांसद अजय मिश्र टेनी ने बताया कि इस मामले पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इस साल के आखिर में नवंबर-दिसंबर तक गौरीफंटा में यह दफ्तर खुल जाने की उम्मीद है।