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लखीमपुर हिंसा : केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र को सीजेएम कोर्ट मिली बड़ी राहत, नहीं दर्ज होगा हत्या का मुकदमा

locationलखीमपुर खेरीPublished: Dec 07, 2021 07:52:02 pm

Submitted by:

Amit Tiwari

लखीमपुर के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई ने हत्या का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी, उनके पुत्र आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल गयी थी।

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लखीमपुर खीरी. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को सीजेएम कोर्ट से मंगलवार को बड़ी राहत मिली है। सीजेएम कोर्ट ने पत्रकार रमन कश्यप की हत्या के मामले में अजय मिश्र टेनी समेत 14 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। सीजेएम कोर्ट ने कहा कि पत्रकार रमन कश्यप की हत्या के मामले में पहले से ही मुकदमा दर्ज है और उसकी विवेचना जारी है। ऐसे में अन्य किसी प्राथमिकी का कोई आधार नहीं बनता है।
156 (3) के तहत कोर्ट में दाखिल की गई थी याचिका

गौरतलब है कि लखीमपुर के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा में मारे गए पत्रकार रमन कश्यप के भाई ने हत्या का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी, उनके पुत्र आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए धारा 156 (3) सीआरपीसी के तहत सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल गयी थी। अर्जी पर एक दिसंबर को सुनवाई की तिथि नियत की गई थी। वादी के अधिवक्ता ने एक दिसंबर को सीजेएम कोर्ट में अर्जी पर बहस करते हुए मुकदमा दर्ज कराए जाने के आदेश पारित करने की याचना की थी। सीजेएम चिंताराम ने वादी के अधिवक्ता की बहस सुनकर आदेश के लिए छह दिसंबर सोमवार की तिथि तय की थी। लेकिन सोमवार को देर शाम तक फैसला नहीं आ सका था। सीजेएम ने मामले में फैसले के लिए सात दिसंबर मंगलवार की तिथि को अपना यह फैसला सुनाया।
3 अक्टूबर को हुई थी लखीमपुर खीरी में हिंसा

बता दें कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा के दौरान 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में पत्रकार रमन कश्यप भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष मिश्रा समेत एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। फिलहाल सभी गिरफ्तार आरोपी जेल में हैं। लखीमपुर हिंसा मामले की जांच पूर्व न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी कर रही है और हिंसा मामले की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई भी कर रहा है।
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