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आंगनबाड़ी केंद्र हुए जर्जर, नौनिहालों के सिर पर मड़रा रहा खतरा, अधिकारी नहीं ले रहे सुध

locationलखीमपुर खेरीPublished: Aug 21, 2019 02:49:32 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

जिले में शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयास असफल साबित हो रहे हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र हुए जर्जर, नौनिहालों के सिर पर मड़रा रहा खतरा, अधिकारी नहीं ले रहे सुध

आंगनबाड़ी केंद्र हुए जर्जर, नौनिहालों के सिर पर मड़रा रहा खतरा, अधिकारी नहीं ले रहे सुध

लखीमपुर-खीरी. जिले में शैक्षणिक व्यवस्था को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयास असफल साबित हो रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों को खुद का भवन नसीब कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा जगह-जगह भवन का निर्माण कराने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कार्यदायी संस्था की लापरवाही व ठेकेदार की मनमानी के चलते क्षेत्र की कुछ पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर हो चुके हैं। सरकार द्वारा करोड़ों खर्च के बाद भी नतीजा जीरो है। मजबूरी में कुछ केंद्रों को प्राथमिक विद्यालयों और निजी मकानों में चलाया जा रहा है, लेकिन जब प्रदेश में नई सरकार आई, तब से लोगों में एक नई उम्मीद जग गई कि शायद अब केंद्रों के दिन भी बदल जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ, लोगों में केवल यह सपना बनकर ही रह गया।

जानिए क्या है पूरा मामला

दरअसल हम बात कर रहे हैं, तहसील निघासन के ग्राम पंचायत सिंगहाकलां के गांव जैपुरा में बने आंगनबाड़ी केंद्र की, जो अब पूरी तरीके से जर्जर हो चुका है। जो वार्ड नंबर एक में स्थित है। आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले नौनिहालों के सिर पर खतरा मंडरा रहा है, जिन कमरों में कक्षाएं संचालित हो रही है। वह जर्जर कमरे कभी भी धाराशायी हो सकते हैं। आंगनबाड़ी के जर्जर भवन के छज्जे से राड् बाहर नजर आने लगे हैं और प्लास्टर भी टूटने लगा है, तथा आंगनबाड़ी केंद्र में बना शौचालय भी जर्जर हो गया है और तो और बारिश होने पर या ठंडक में ज्यादा ओस पड़ने पर कमरों में पानी टपकना आम बात है। भीगे फर्श पर छोटे-छोटे बच्चे बैठते हैं। उन कमरों की दीवारें या आंगनबाड़ी भवन मरम्मत के लायक भी नहीं है। भवन के चारों ओर दरार ही दरार नजर आती है।

दुर्गंध से परेशान होते हैं बच्चे

नौबत यह है कि कभी भी इनकी दीवारें भरभराकर ढह सकती हैं तथा केंद्र के आसपास काफी गंदगी होने से पालकों को अपने छोटे-छोटे बच्चों मे बीमारी पैदा होने का डर सताता रहता है और बच्चे भी दुर्गंध से परेशान होते हैं। इन कमरों में न चाहते हुए भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को केंद्र संचालित करना पड़ रहा है। सरकार इस कार्यक्रम पर करोड़ों की धनराशि खर्च कर रही है, लेकिन सरकारी भवन के जर्जर होने व नए निर्माण के प्रति जिम्मेदार आंख मूंदे हैं।

स्थिति देख यही प्रतीत होता है कि सरकार की मंशा तार-तार हो रही है, और सरकार भी करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, लेकिन ऊपर बैठे आला अधिकारी ऐसे जर्जर आंगनबाड़ी केंद्रों की सुध तक नहीं ले रहे हैं। इसीलिए कुपोषण दूर करने की केंद्र सरकार की ओर से संचालित एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम को पंख नहीं लग पा रहा है।

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