ब्रिटिश कलेक्टर ने शुरू कराई थी रामलीला
रामलीला कराने वाले सेठ गया प्रसाद ट्रस्ट के वर्तमान सर्वराहकार विपुल सेठ बताते हैं कि रामलीला की शुरुआत 152 साल पहले ब्रिटिश कलेक्टर मिस्टर वाकले ने कराई थी। वे वाराणसी से स्थानांतरित होकर लखीमपुर आए थे और उनकी पत्नी ने वाराणसी की रामलीला देखी थी, जो उन्हें काफी पसंद थी। इस लीला की शुरुआत मि. वाकले ने पत्नी के आग्रह पर लखीमपुर में कराई थी। उस समय लखीमपुर में कोई ऐसा आदमी नहीं था जो इसका आयोजन अपने हाथों में ले सकता। शहर के प्रतिष्ठित सेठ परिवार से मिलकर कलक्टर मिस्टर वाकले ने प्रस्ताव रखा तो तत्कालीन मथुरा प्रसाद सेठ ने शहर में सबसे पहले रामलीला की शुरुआत कराई।
रामलीला कराने वाले सेठ गया प्रसाद ट्रस्ट के वर्तमान सर्वराहकार विपुल सेठ बताते हैं कि रामलीला की शुरुआत 152 साल पहले ब्रिटिश कलेक्टर मिस्टर वाकले ने कराई थी। वे वाराणसी से स्थानांतरित होकर लखीमपुर आए थे और उनकी पत्नी ने वाराणसी की रामलीला देखी थी, जो उन्हें काफी पसंद थी। इस लीला की शुरुआत मि. वाकले ने पत्नी के आग्रह पर लखीमपुर में कराई थी। उस समय लखीमपुर में कोई ऐसा आदमी नहीं था जो इसका आयोजन अपने हाथों में ले सकता। शहर के प्रतिष्ठित सेठ परिवार से मिलकर कलक्टर मिस्टर वाकले ने प्रस्ताव रखा तो तत्कालीन मथुरा प्रसाद सेठ ने शहर में सबसे पहले रामलीला की शुरुआत कराई।
मथुरा भवन है रामलीला का उद्गम स्थल
डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुरानी रामलीला का उद्गम स्थल सेठ परिवार का निवास मथुरा भवन है, जहां से रामलीला की शुरुआत की गई। यही से पहले रामलीला की तैयारियां शुरू की गईं। आज 152 साल बाद भी यहां से ही रामलीला की तैयारियां होती है। हर साल लक्ष्मण, दशरथ, शत्रुघ्न, जनक, रावण, कुंभकर्ण इत्यादि पात्रों को यही सजाया जाता है।
डेढ़ सौ साल से ज्यादा पुरानी रामलीला का उद्गम स्थल सेठ परिवार का निवास मथुरा भवन है, जहां से रामलीला की शुरुआत की गई। यही से पहले रामलीला की तैयारियां शुरू की गईं। आज 152 साल बाद भी यहां से ही रामलीला की तैयारियां होती है। हर साल लक्ष्मण, दशरथ, शत्रुघ्न, जनक, रावण, कुंभकर्ण इत्यादि पात्रों को यही सजाया जाता है।
रामचिरत मानस है लीला का आधार
शहर की इस एतिहासिक रामलीला का आधार गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरित मानस है। पात्र लीला के दौरान वही वाक्य बोलेंगे जो श्रीराम चरित मानस में राम, लक्षण या अन्य पात्रों द्वारा बोले गए हैं। चूंकि शहर की यह लीला वाराणसी की रामलीला की नकल है। इसलिए भी पात्र उन्हीं वाक्यों का प्रयोग करते हैं जो रामचरित मानस में लिखे हैं क्योंकि यही वाराणसी की लीला का भी आधार है।
शहर की इस एतिहासिक रामलीला का आधार गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरित मानस है। पात्र लीला के दौरान वही वाक्य बोलेंगे जो श्रीराम चरित मानस में राम, लक्षण या अन्य पात्रों द्वारा बोले गए हैं। चूंकि शहर की यह लीला वाराणसी की रामलीला की नकल है। इसलिए भी पात्र उन्हीं वाक्यों का प्रयोग करते हैं जो रामचरित मानस में लिखे हैं क्योंकि यही वाराणसी की लीला का भी आधार है।
सभी पात्र होते हैं ब्राम्हण
सेठ गया प्रसाद ट्रस्ट के सर्वराहकार व रामलीला के सूत्रधार विपुल सेठ बताते हैं कि वाराणसी की तरह यहां की भी खासियत है कि सभी पात्र ब्राम्हण होते हैं। राम से लेकर रावण पक्ष तक लीला के सभी पात्र ब्राम्हण वर्ग से ही होते हैं।
सेठ गया प्रसाद ट्रस्ट के सर्वराहकार व रामलीला के सूत्रधार विपुल सेठ बताते हैं कि वाराणसी की तरह यहां की भी खासियत है कि सभी पात्र ब्राम्हण होते हैं। राम से लेकर रावण पक्ष तक लीला के सभी पात्र ब्राम्हण वर्ग से ही होते हैं।
लाल किताब से कराई जाती है लीला
विपुल सेठ बताते हैं कि रामलीला में किस लीला को कब करना है उसके पात्र, प्रयोग होने वाली सामग्री, ये सभी चीजें लाल किताब में लिखी गई हैं, चूंकि यह लाल पन्नों पर लिखी गई इसलिए इसे लाल किताब कहते हैं।
विपुल सेठ बताते हैं कि रामलीला में किस लीला को कब करना है उसके पात्र, प्रयोग होने वाली सामग्री, ये सभी चीजें लाल किताब में लिखी गई हैं, चूंकि यह लाल पन्नों पर लिखी गई इसलिए इसे लाल किताब कहते हैं।
ये होंगी लीलाएं
सर्वराहकार विपुल सेठ ने बताया कि रामलीला की शुरुआत शारदीय नवरात्रि से होती है। पहले दिन गणेश पूजन मथुरा में, फिर रामलीला मैदान में ध्वजारोपहण और पहली सवारी का नगर भ्रमण कर शुरुआत होती है। इस बार गणेश पूजन एक अक्टूबर को होगा। फिर दो अक्टूबर को राम व चारों भाइयों का जनम बाल लीला, तीन अक्टूबर को पुष्प वाटिका की लीला, गुड़मंडी में होगी, चार अक्टूबर को रामलीला मैदान में धनुष यज्ञ होगा।
सर्वराहकार विपुल सेठ ने बताया कि रामलीला की शुरुआत शारदीय नवरात्रि से होती है। पहले दिन गणेश पूजन मथुरा में, फिर रामलीला मैदान में ध्वजारोपहण और पहली सवारी का नगर भ्रमण कर शुरुआत होती है। इस बार गणेश पूजन एक अक्टूबर को होगा। फिर दो अक्टूबर को राम व चारों भाइयों का जनम बाल लीला, तीन अक्टूबर को पुष्प वाटिका की लीला, गुड़मंडी में होगी, चार अक्टूबर को रामलीला मैदान में धनुष यज्ञ होगा।