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डीएम की कोशिशें लाई रंग, किसानों के निरस्त सट्टा हुए बहाल, बड़ी मुसीबत हुई हल

locationलखीमपुर खेरीPublished: Nov 15, 2018 08:11:55 am

समाज कल्याण विभाग से सट्टे पर 1956 में दी गई जमीनों पर खेती कर रहे 6 कालोनियों के लोगों का सट्टा इस बार निरस्त हो गया…

DM helps farmers in Lakhimpur Kheri

डीएम की कोशिशें लाई रंग, 6 कॉलोनियों के निरस्त सट्टा हुए बहाल

लखीमपुर खीरी. समाज कल्याण विभाग से सट्टे पर 1956 में दी गई जमीनों पर खेती कर रहे 6 कालोनियों के लोगों का पट्टा इस बार निरस्त हो गया। गन्ना विभाग की नीति के अनुसार जिसके पास खतौनी है उन्हीं के सट्टे बनेंगे, जबकि उनके पास खतौनी नहीं थी। बल्कि यह लोग समाज कल्याण विभाग को लगातार लगान देते आए हैं।
पट्टा निरस्त होने से किसान परेशान

पट्टा निरस्त होने के बाद किसान परेशान हैं। उन्होंने इस संबंध में डीएम सहित अन्य अधिकारियों से संपर्क भी किया। किसानों की समस्याओं को देखते हुए डीएम ने विशेष प्रयास करके उनके सट्टे बहाल कराएं हैं। जो किसान समाज कल्याण विभाग को लगान देते हैं। उनका गन्ना मिलों को दिया जाएगा। समाज कल्याण विभाग से अनुसूचित जाति उन्मूलन योजना के तहत 1956 में खेती करने वाले किसानों को 6-6 एकड़ का पट्टा दिया गया था। जिले की साहिबगंज कॉलोनी, भटपुरवा कॉलोनी, सुआबोझ, नकहा पिपरी, कुसुमी कॉलोनी और देवकली कॉलोनी के लोग दशकों से इन जमीन पर खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। इस बार गन्ना विभाग की नई नीति के कारण इनके पास जमीन की खतौनी न होने पर इनके सट्टे निरस्त कर दिए गए। इससे पट्टा की जमीन पर उगाए गन्ने को यह लोग कहां बेचेंगे, इसको लेकर किसानों के सामने एक बड़ी समस्या आ गई है।
किसानों के सट्टे हुए बहाल

किसानों ने डीएम, जिला गन्ना अधिकारी और जिला समाज कल्याण अधिकारी से संपर्क कर पट्टा बनवाने बनाने की मांग की थी। जिला समाज कल्याण अधिकारी ने भी इस सम्बंध में गन्ना विभाग को पत्र लिखा था। साथ ही इस मामले में जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह से भी वार्ता की थी। किसानों की समस्या को देखते हुए डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह ने शासन और गन्ना विभाग को पत्र लिखा और तगड़ी पैरवी भी की। इसका परिणाम यह हुआ कि किसानों के सट्टे बहाल हो गए। वहीं जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि जिन किसानों के पास विभाग का भूमि अंतरण आदेश और लगान जमा करने की रसीद है। उनके सट्टे सर्वे के बाद बाहर हो जाएंगे और यह किसानों मिलों को गन्ना आपूर्ति कर सकेंगे।
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