जुलाई में ही आठ कर्मचारियों को नियम के विरुद्ध उनकी सेवा से उन्हें मुक्त कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जीवीकेईएमआरआई सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा पायलट और टेक्नीशियन रखे जाते हैं, जिसके बाद कंपनी द्वारा जमकर उनका आर्थिक व मानसिक शोषण होता है। अपनी मांगों में उन्होंने बताया कि वर्तमान में कंपनी पायलट प्रोजेक्ट के तहत हम कर्मचारियों को प्रति 60 रुपए का मानदेय देकर काम कराना चाहती है, जिसमें हम कर्मचारियों को ईएसआई और पीएफ की सुविधा नहीं दी जाएगी। हम कर्मचारीगण कंपनी के इस पायलट प्रोजेक्ट का विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि हमें पूर्व की भांति निर्धारित वेतनमान पर ही कार्य करने दिया जाए। पायलट प्रोजेक्ट को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। साथी कर्मचारियों से आठ घंटे से अधिक कार्य करवाए जाने पर ओवरटाइम का भुगतान किया जाए। कंपनी द्वारा प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की वेतन वृद्धि की जाए। वर्ष 2014 से कर्मचारियों का कोई वेतन वृद्धि नहीं दी गई है। उसका तुरंत भुगतान कराया जाए तथा जो कंपनी द्वारा फर्जी एवं गलत तरीके से केस किए जाते हैं, जिसके लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाया जाता है उनके अनुसार इस फर्जीवाड़ा में साथ ना देने पर हम कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। अथवा तीन सौ से चार सौ किलोमीटर दूरी पर स्थानांतरण कर दिया जाता है। इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। अगर स्थानांतरण किया भी जाए तो जिले में ही हो हरियाणा तथा दिल्ली राज्य के अनुसार हम कर्मचारियों को भी इसके अधीन कर हमें सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए।