अब 15 नवंबर को खुलेगा दुधवा टाइगर रिजर्व का पयर्टन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो गया। परिसर के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया। अब यह द्वार करीब 5 महीने बाद सैलानियों के लिए 14 नवंबर तक बंद रहेगा। 15 नवंबर को नया सत्र शुरू होने के बाद ही इस के द्वार खोले जाएंगे। अब जंगल में इंसानों की गतिविधियों कम हो जाएगी। केवल पेट्रोलिंग के लिए ही वाहन अंदर जाएंगे। बारिश का सीजन निकलने के बाद खराब सड़कों की मरम्मत आदि कराने के साथ ही 5 माह बाद से दुधवा अपने नए कलेवर में सैलानियों के लिए इस्तकबाल करने को तैयार होगा।
अंतिम दिन का भी बड़ा असर
अंतिम दिन शुक्रवार को टूरिस्ट हलका की ही कहा जाएगा। सुहावना मौसम था उम्मीद की आखरी दिन सैलानियों की भीड़ भाड़ काफी रहेगी लेकिन इसके उल्टा पूरे दिन यानी 2 शिफ्ट में कुल 18 वाहनों ही जंगल भ्रमण कराने जंगल गये। इस खराब प्रबंधन ही कहा जाएगा कि सैलानियों को अंतिम दिन दुधवा से जोड़ने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया जा सके। अगर पार्क प्रशासन कोई ऐसे व्यवस्था करता जिससे अंतिम दिन सैलानियों का पार्क में ताता लगा रहता।
घटी सैलानियों की संख्या चिंता का विषय
इस सत्र में पिछले वर्ष की तुलना में दुधवा भ्रमण को आने वाले सैलानियों की संख्या काफी कम रही। सुनने में यह अजीब लग सकता है कि विश्वविख्यात दुधवा टाइगर रिजर्व जहां पर लोगों को ठहरने के लिए हट नहीं मिलती थी। जहां पर इस बार अंतर्राष्ट्रीय वर्ल्ड फेस्टिवल का आयोजन हुआ। वहां इस बार सैलानियों की संख्या काफी कम नहीं रही लेकिन यह सच है कि इस बार दुधवा में कुल 9887 देशी और 34 विदेशी सैलानियों ने भ्रमण किया जबकि पिछले साल 24334 देशी और 94 विदेशी सैलानी दुधवा आये थे। इससे साफ पता चलता है कि सैलानियों की संख्या बढ़ने की वजह काफी घट गई जो दुधवा पार्क प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। इस पर मंथन की जरूरत भी है। इस सत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 40 फसीद भी सैलानी दुधवा नहीं आये। अगर हम राजस्व की बात करें तो पिछले वर्ष कुल 4308820 रुपये प्राप्त हुए थे जबकि इस बार 1672 667 रुपये हो प्राप्त हो सका है जोकि बहुत कम है। पिछले 5 वर्षों में यह सबसे कम सैलानियों की संख्या और कम राजस्व की प्राप्ति है।